भारत के सभी राष्ट्रपतियों की सूची (1950 से अब तक) |
भारत का राष्ट्रपति देश का मुखिया और भारत का प्रथम नागरिक होता है। राष्ट्रपति राष्ट्र की एकता, अखंडता एवं सुदृढ़ता का प्रतीक है। राष्ट्रपति के पास भारतीय सशस्त्र सेना की भी सर्वोच्च कमान होती है। भारत का राष्ट्रपति लोक सभा, राज्यसभा और विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों द्वारा चुना जाता है। भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है। वर्तमान में भारत के 15वें राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी हैं।
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भारत की स्वतंत्रता से लेकर अब तक 14 राष्ट्रपति हो चुके हैं। 1 भारत के राष्ट्रपति पद की स्थापना भारतीय संविधान के द्वारा की गयी है। इन 14 राष्ट्रपतियों के अलावा 3 कार्यवाहक राष्ट्रपति भी हुए है जो पदस्थ राष्ट्रपति की मृत्यु के बाद बनाये गए है।भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद थे।
7 राष्ट्रपति निर्वाचित होने से पूर्व राजनीतिक पार्टी के सदस्य रह चुके है। इनमे से 6 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और 1 जनता पार्टी के सदस्य शामिल है, जो बाद में राष्ट्रपति बने। दो राष्ट्रपति, ज़ाकिर हुसैन और फ़ख़रुद्दीन अली अहमद, जिनकी पदस्थ रहते हुए मृत्यु हुई। भारत के 13वे राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी है जो 25 जुलाई 2012 को भारत के राष्ट्रपति के तौर पर निर्वाचित हुए राष्ट्रपति रहने से पूर्व वे भारत सरकार में वित्त मंत्री, विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री और योजना आयोग के उपाध्यक्ष रह चुके है। वे मूल रूप से पश्चिम बंगाल के निवासी है इसलिए वे इस राज्य से पहले राष्ट्रपति हैं। इससे पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति है। 25 जुलाई 2017 को राष्ट्रपति का पद रामनाथ कोविंद को प्राप्त हुआ जो भारत के 14वे राष्ट्रपति थे। वर्तमान में द्रौपदी मुर्मू भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति है। 25 जुलाई 2022 को भारत की पन्द्रहवीं राष्ट्रपति बनी है।
भारत के सभी राष्ट्रपतियों की सूची (1950 से अब तक) | |||
क्र.स. | राष्ट्रपति का नाम | जन्म व मृत्यु वर्ष | कार्यकाल |
1. | डॉ. राजेंद्र प्रसाद | 1884-1963 | 1950-1962 |
2. | डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन | 1888-1975 | 1662-1967 |
3. | डॉ. जाकिर हुसैन | 1897-1969 | 1967-1969 |
श्री वी वी गिरि (कार्यवाहक राष्ट्रपति) |
1894-1980 | 1969 (78 दिन) |
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एम. हिदायतुल्लाह (कार्यवाहक राष्ट्रपति) |
1905-1992 | 1969 (35 दिन) |
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4. | श्री वी वी गिरि | 1894-1980 | 1969-1974 |
5. | श्री फखरुद्दीन अली अहमद | 1905-1977 | 1974-1977 |
श्री बीडी जत्ती (कार्यवाहक राष्ट्रपति) |
1912-2002 | 1977 (164 दिन) |
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6. | श्री नीलम संजीव रेड्डी | 1913-1996 | 1977-1982 |
7. | श्री ज्ञानी जैल सिंह | 1916-1994 | 1982-1987 |
8. | श्री आर. वेंकटरमण | 1910-2009 | 1987-1992 |
9. | डॉ शंकर दयाल शर्मा | 1918-1999 | 1992-1997 |
10. | श्री के. आर. नारायणन | 1920-2005 | 1997-2002 |
11. | डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम | 1931-2015 | 2002-2007 |
12. | श्रीमती प्रतिभा सिंह पाटिल | जन्म वर्ष 1934 | 2007-2012 |
13. | श्री प्रणब मुखर्जी | 1935-2020 | 2012-2017 |
14. | श्री राम नाथ कोविंद | जन्म वर्ष 1945 | 2017-2022 |
15. | श्रीमति द्रौपदी मुर्मू | जन्म वर्ष 1958 | 2022 से जारी |
भारत के सभी राष्ट्रपतियों की सूची (1950 से अब तक) तथ्य के साथ | |
नाम / जन्म मृत्यु वर्ष | पार्टी / कार्यकाल / समय |
1 |
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26 जनवरी, 1950 से 13 मई, 1962 तक |
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डॉ. राजेंद्र प्रसाद (1884-1963) |
12 वर्ष, 107 दिन |
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2 |
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स्वतंत्र | |
13 मई, 1962 से 13 मई, 1967 तक |
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डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888- 1975) |
5 वर्ष |
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3 |
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स्वतंत्र | |
13 मई, 1967 से 03 मई, 1969 तक |
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डॉ. जाकिर हुसैन (1897-1969) |
1 वर्ष, 355 दिन |
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कार्यवाहक राष्ट्रपति | |
स्वतंत्र | |
03 मई, 1969 से 20 जुलाई, 1969 तक |
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श्री वी वी गिरि (1894-1980) |
78 दिन |
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कार्यवाहक राष्ट्रपति | |
स्वतंत्र | |
20 जुलाई, 1969 से 24 अगस्त, 1969 तक |
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एम. हिदायतुल्लाह (1905-1992) |
35 दिन |
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4 | |
स्वतंत्र | |
24 अगस्त, 1969 से 24 अगस्त, 1974 तक |
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श्री वी वी गिरि (1894-1980) |
5 वर्ष |
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5 | |
24 अगस्त, 1974 से 11 फरवरी, 1977 तक |
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श्री फखरुद्दीन अली अहमद (1905-1977) |
2 वर्ष 171 दिन |
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कार्यवाहक राष्ट्रपति | |
11 फरवरी, 1977 से 25 जुलाई, 1977 तक |
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श्री बीडी जत्ती (1912-2002) |
164 दिन |
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6 | |
25 जुलाई, 1977 से 25 जुलाई, 1982 तक |
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श्री नीलम संजीव रेड्डी (1913-1996) |
5 वर्ष |
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7 | |
25 जुलाई, 1982 से 25 जुलाई, 1987 तक |
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श्री ज्ञानी जैल सिंह (1916-1994) |
5 वर्ष |
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8 | |
25 जुलाई, 1987 से 25 जुलाई, 1992 तक |
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श्री आर. वेंकटरमण (1910-2009) |
5 वर्ष |
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9 | |
25 जुलाई, 1992 से 25 जुलाई, 1997 तक |
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डॉ. शंकर दयाल शर्मा (1918-1999) |
5 वर्ष |
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10 | |
25 जुलाई, 1997 से 25 जुलाई, 2002 तक |
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श्री के. आर. नारायणन (1920-2005) |
5 वर्ष |
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11 |
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स्वतंत्र | |
25 जुलाई, 2002 से 25 जुलाई, 2007 तक |
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डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम (1931-2015) |
5 वर्ष |
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12 |
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25 जुलाई, 2007 से 25 जुलाई, 2012 तक |
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श्रीमती प्रतिभा सिंह पाटिल (जन्म वर्ष 1934) |
5 वर्ष |
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13 |
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25 जुलाई, 2012 से 25 जुलाई, 2017 तक |
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श्री प्रणब मुखर्जी (1935-2020) |
5 वर्ष |
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14 |
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25 जुलाई, 2017 से 25 जुलाई, 2022 तक |
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श्री राम नाथ कोविंद (जन्म वर्ष 1945) |
5 वर्ष |
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15 |
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25 जुलाई, 2022 से अब तक |
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श्रीमति द्रौपदी मुर्मू (जन्म वर्ष 1958) |
156 दिन अभी जारी है |
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राष्ट्रपति की योग्यता / मापदंड |
अनुच्छेद 58 के अनुसार कोई व्यक्ति राष्ट्रपति होने योग्य तब होगा, जब वह-
- भारत का नागरिक हो।
- 35 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
- राष्ट्रपति की अन्य योग्यताएं यह है व्यक्ति किसी लोकसभा का सदस्य बनने की अपनी सभी योग्यताएं पूरी करता है।
- चुनाव के समय लाभ का पद धारण नहीं करता हो।
यदि व्यक्ति राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के पद पर हो या संघ अथवा किसी राज्य की मंत्रिपरिषद् का सदस्य हो, तो वह लाभ का पद नहीं माना जायेगा।
राष्ट्रपति का निर्वाचन |
राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता प्रत्यक्ष रूप से नहीं करती बल्कि एक निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा उसका निर्वाचन किया जाता है। इसमें निम्न लोग शामिल होते हैं:
1. संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य
2. राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य, तथा-
3. केंद्रशासित प्रदेशों दिल्ली व पुडुचेरी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य।”
इस प्रकार संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य, राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य, राज्य विधानपरिषदों (द्विसदनीय विधायिका के मामलों में) के सदस्य (निर्वाचित व मनोनीत) और दिल्ली तथा पुदुचेरी विधानसभा के मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेते हैं। जब कोई सभा विघटित हो गई हो तो उसके सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन में मतदान नहीं कर सकते। उस स्थिति में भी जबकि विघटित सभा का चुनाव राष्ट्रपति के निर्वाचन से पूर्व न हुआ हो ।
संविधान में यह प्रावधान है कि राष्ट्रपति के निर्वाचन में विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व समान रूप से हो, साथ ही राज्यों तथा संघ के मध्य भी समानता हो। इसे प्राप्त करने के लिए, राज्य विधानसभाओं तथा संसद के प्रत्येक सदस्य के मतों की संख्या निम्न प्रकार निर्धारित होती है:
1. प्रत्येक विधानसभा के निर्वाचित सदस्य के मतों की संख्या, उस राज्य की जनसंख्या को, उस राज्य की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों तथा 1000 के गुणनफल से प्राप्त संख्या द्वारा भाग देने पर प्राप्त होती है।
2. संसद के प्रत्येक सदन के निर्वाचित सदस्यों के मतों की संख्या, सभी राज्यों के विधायकों की मतों के मूल्य को संसद के कुल सदस्यों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होती है-
राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत और गुप्त मतदान द्वारा होता है। किसी उम्मीदवार को, राष्ट्रपति के चुनाव में निर्वाचित होने के लिए, मतों का एक निश्चित भाग प्राप्त करना आवश्यक है। मतों का यह निश्चित भाग, कुल वैध मतों की, निर्वाचित होने वाले कुल उम्मीदवारों (यहां केवल एक ही उम्मीदवार राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित होता है) की संख्या में एक जोड़कर प्राप्त संख्या द्वारा, भाग देने पर भागफल में एक जोड़कर प्राप्त होता है।
निर्वाचक मंडल के प्रत्येक सदस्य को केवल एक मतपत्र दिया जाता है। मतदाता को मतदान करते समय उम्मीदवारों के नाम के आगे अपनी वरीयता 1, 2, 3, 4 आदि अंकित करनी होती है। इस प्रकार मतदाता उम्मीदवारों की उतनी वरीयता आदि दे सकता है, जितने उम्मीदवार होते हैं।
प्रथम चरण में, प्रथम वरीयता के मतों की गणना होती है। यदि उम्मीदवार निर्धारित मत प्राप्त कर लेता है तो वह निर्वाचित घोषित हो जाता है अन्यथा मतों के स्थानांतरण की प्रक्रिया अपनाई जाती है। प्रथम वरीयता के न्यूनतम मत प्राप्त करने वाले उम्मीदवार के मतों को रद्द कर दिया जाता है तथा इसके द्वितीय वरीयता के मत अन्य उम्मीदवारों के प्रथम वरीयता के मतों में स्थानान्तरित कर दिए जाते है, यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार निर्धारित मत प्राप्त नहीं कर लेता ।
राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित सभी विवादों की जांच व फैसले उच्चतम न्यायालय में होते हैं तथा उसका फैसला अंतिम होता है।
राष्ट्रपति के चुनाव को इस आधार पर चुनौती नहीं दी जा सकती कि निर्वाचक मंडल अपूर्ण है (निर्वाचक मंडल के किसी सदस्य का पद रिक्त होने पर) । यदि उच्चतम न्यायालय द्वारा किसी व्यक्ति की राष्ट्रपति के रूप में नियुक्ति को अवैध घोषित किया जाता है, तो उच्चतम न्यायालय की घोषणा से पूर्व उसके द्वारा किए गए कार्य अवैध नहीं माने जाएंगे तथा प्रभावी बने रहेंगे।
राष्ट्रपति का कार्यकाल /पदावधि |
- राष्ट्रपति की पदावधि उसके पद धारण करने की तिथी से पांच वर्ष तक होती है।
- हालांकि वह अपनी पदावधि में किसी भी समय अपना त्यागपत्र उप-राष्ट्रपति को दे सकता है।
- इसके अतिरिक्त उसे कार्यकाल पूरा होने के पूर्व महाभियोग चलाकर भी उसके पद से हटाया जा सकता है।
- जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण न कर ले राष्ट्रपति अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के उपरांत भी पद पर बना रह सकता है।
- वह इस पद पर पुनः निर्वाचित हो सकता है।
- वह कितनी ही बार पुनः निर्वाचित हो सकता है हालांकि अमेरिका में एक व्यक्ति दो बार से अधिक राष्ट्रपति नहीं बन सकता।
राष्ट्रपति पर महाभियोग |
राष्ट्रपति पर ‘संविधान का उल्लंघन’ करने पर महाभियोग चलाकर उसे पद से हटाया जा सकता है। हालांकि संविधान ने ‘संविधान का उल्लंघन’ वाक्य को परिभाषित नहीं किया है।
- महाभियोग के आरोप संसद के किसी भी सदन में प्रारंभ किए जा सकते हैं।
- इन आरोपों पर सदन के एक-चौथाई सदस्यों (जिस सदन ने आरोप लगाए गए हैं) के हस्ताक्षर होने चाहिये और राष्ट्रपति को 14 दिन का नोटिस देना चाहिए।
- महाभियोग का प्रस्ताव दो-तिहाई बहुमत से पारित होने के पश्चात यह दूसरे सदन में भेजा जाता है, जिसे इन आरोपों की जांच करनी चाहिए।
- राष्ट्रपति को इसमें उप-स्थित होने तथा अपना प्रतिनिधित्व कराने का अधिकार होगा।
- यदि दूसरा सदन इन आरोपों को सही पाता है और महाभियोग प्रस्ताव को दो-तिहाई बहुमत से पारित करता है तो राष्ट्रपति को प्रस्ताव पारित होने की तिथि से उसके पद से हटाना होगा।
इस प्रकार महाभियोग संसद की एक अर्द्ध-न्यायिक प्रक्रिया है। इस संदर्भ में दो बातें ध्यान देने योग्य हैं-
- (अ) संसद के दोनों सदनों के नामांकित सदस्य जिन्होंने राष्ट्रपति के चुनाव में भाग नहीं लिया था, इस महाभियोग में भाग ले सकते हैं।
- (ब) राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य तथा दिल्ली व पुदुचेरी केंद्रशासित राज्य विधानसभाओं के सदस्य इस महाभियोग प्रस्ताव में भाग नहीं लेते हैं, जिन्होंने राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लिया था।
- अभी तक किसी भी राष्ट्रपति पर महाभियोग नहीं चलाया गया है।
राष्ट्रपति पद की रिक्तता |
राष्ट्रपति का पद निम्न प्रकार से रिक्त हो सकता है-
- पांच वर्षीय कार्यकाल समाप्त होने पर,
- उसके त्यागपत्र देने पर,
- महाभियोग प्रक्रिया द्वारा उसे पद से हटाने पर,
- उसकी मृत्यु पर’,
- अन्यथा, जैसे यदि वह पद ग्रहण करने के लिए अर्हक न हो अथवा निर्वाचन अवैध घोषित हो।
राष्ट्रपति की शक्तियाँ एवं कर्तव्य |
राष्ट्रपति द्वारा प्रयोग की जाने वाली शक्तियाँ व किए जाने वाले कार्य निम्न है-
1. कार्यकारी शक्तियाँ
2. विधायी शक्तियाँ
3. वित्तीय शक्तियाँ
4. न्यायिक शक्तियाँ
5. कूटनीतिक शक्तियाँ
6. सैन्य शक्तियाँ
7. आपातकालीन शक्तियाँ
8. वीटो शक्ति
9. अध्यादेश जारी करने की शक्ति
10. क्षमादान करने की शक्ति
कार्यकारी शक्तियाँ-
- भारत सरकार के सभी शासन संबंधी कार्य उसके नाम पर किए जाते हैं।
- वह नियम बना सकता है ताकि उसके नाम पर दिए जाने वाले आदेश और अन्य अनुदेश वैध हों।
- वह ऐसे नियम बना सकता है जिससे केंद्र सरकार सहज रूप से कार्य कर सके तथा मंत्रियों को उक्त कार्य सहजता से वितरत हो सकें।
- वह प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है, तथा वे उसकी प्रसादपर्यंत कार्य करते हैं।
- वह महान्यायवादी की नियुक्ति करता है तथा उसके वेतन आदि निर्धारित करता है। महान्यायवादी, राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत अपने पद पर करता है।
- वह भारत के महानियंत्रक व महालेखा परीक्षक, मुख्य चुनाव आयुक्त तथा अन्य चुनाव आयुक्तों, संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों, राज्य के राज्यपालों, वित्त आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों आदि की नियुक्ति करता है।
- वह केंद्र के प्रशासनिक कार्यों और विधायिका के प्रस्तावों से संबंधित जानकारी की मांग प्रधानमंत्री से कर सकता है
- राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से किसी ऐसे निर्णय का प्रतिवेदन भेजने के लिये कह सकता है, जो किसी मंत्री द्वारा लिया गया हो, किंतु पूरी मंत्रिपरिषद ने इसका अनुमोदन नहीं किया हो।
- वह अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा अन्य पिछड़े वर्गों के लिए एक आयोग की नियुक्ति कर सकता है।
- वह केंद्र-राज्य तथा विभिन्न राज्यों के मध्य सहयोग के लिए एक अंतर्राज्यीय परिषद की नियुक्ति कर सकता है।
- वह स्वयं द्वारा नियुक्त प्रशासकों के द्वारा केंद्रशासित राज्यों का प्रशासन सीधे संभालता है।
- वह किसी भी क्षेत्र को (अनुसूचित क्षेत्र घोषित कर सकता है। उसे (अनुसूचित क्षेत्रों तथा जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन की शक्तियां प्राप्त हैं।
विधायी शक्तियाँ-
- वह संसद की बैठक बुला सकता है अथवा कुछ समय के लिए स्थगित कर सकता है और लोकसभा को विघटित कर सकता है। वह संसद के संयुक्त अधिवेशन का आह्वान कर सकता है जिसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करता है।
- वह प्रत्येक नए चुनाव के बाद तथा प्रत्येक वर्ष संसद के प्रथम अधिवेशन को संबोधित कर सकता है।
- वह संसद में लंबित किसी विधेयक या अन्यथा किसी संबंध में संसद को संदेश भेज सकता है।
- यदि लोकसभा के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष दाना क रिक्त हों तो वह लोकसभा के किसी भी सदस्य को सदन की अध्यक्षता सौंप सकता है। इसी प्रकार यदि राज्यम के सभापति व उप-सभापति दोनों पद रिक्त हो तो राज्यसभा के किसी भी सदस्य को सदन की सौंप सकता है।
- वह साहित्य, विज्ञान, कला व समाज सेवा से जुड़े अथवा जानकार व्यक्तियों में से 12 सदस्यों को राज्यसभा है। लिए मनोनीत करता है।
- वह लोकसभा में दो आंग्ल-भारतीय समुदाय के व्यक्तियों को मनोनीत कर सकता है।
- वह चुनाव आयोग से परामर्श कर संसद सदस्यों की निरर्हता के प्रश्न पर निर्णय करता है।
- संसद में कुछ विशेष प्रकार के विधेयकों को प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रपति की सिफारिश अथवा आज्ञा आवश्यक है। उदाहरणार्थ, भारत की संचित निधि से खर्च संबंधी विधेयक अथवा राज्यों की सीमा परिवर्तन या नए राज्य के निर्माण या संबंधी विधेयक।
- जब एक विधेयक संसद द्वारा पारित होकर राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है तो वह:
(अ) विधेयक को अपनी स्वीकृति देता है; अथवा
(ब) विधेयक पर अपनी स्वीकृति सुरक्षित रखता है; अथवा
(स) विधेयक को (यदि वह धन विधेयक नहीं है तो) संसद के पुनर्विचार के लिए लौटा देता है।
हालांकि यदि संसद विधेयक को संशोधन या बिना किसी संशोधन के पुन:पारित करती है तो राष्ट्रपति की अपनी सहमति देनी ही होती है। - राज्य विधायिका द्वारा पारित किसी विधेयक को राज्यपाल जब राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखता है तब राष्ट्रपतिः
(अ) विधेयक को अपनी स्वीकृति देता है; अथवा
(ब) विधेयक पर अपनी स्वीकृति सुरक्षित रखता है, अथवा;
(स) राज्यपाल को निर्देश देता है कि विधेयक (यदि वह धन विधेयक नहीं है तो) को राज्य विधायिका को पुनर्विचार हेतु लौटा दे। यह ध्यान देने की बात है कि यदि राज्य विधायिका विधेयक को पुनः राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजती है तो राष्ट्रपति स्वीकृति देने के लिए बाध्य नहीं है। - वह संसद के सत्रावसान की अवधि में अध्यादेश जारी कर सकता है। यह अध्यादेश संसद की पुनः बैठक के छह हफ्तों के भीतर संसद द्वारा अनुमोदित करना। आवश्यक है। वह किसी अध्यादेश को किसी भी समय वापस ले सकता है।
- वह महानियंत्रक व लेखा परीक्षक, संघ लोक सेवा आयोग वित्त आयोग व अन्य की रिपोर्ट संसद के समक्ष रखता है।
- वह अंडमान व निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादर एवं नागर हवेली एवं दमन व दीव में शांति, विकास व सुशासन के लिए विनियम बना सकता है। पुडुचेरी के भी वह नियम बना सकता है परंतु केवल तब जब वहाँ की विधानसभा निलंबित हो अथवा विघटित अवस्था में हो।
वित्तीय शक्तियाँ-
- धन विधेयक राष्ट्रपति की पूर्वानुमति से ही संसद में प्रस्तुत किया जा सकता है।
- वह वार्षिक वित्तीय विवरण (केंद्रीय बजट) को संसद के समक्ष रखता है।
- अनुदान की कोई भी मांग उसकी सिफारिश के बिना नहीं की जा सकती है।
- वह भारत की आकस्मिक निधि से, किसी अदृश्य व्यय हेतु अग्रिम भुगतान की व्यवस्था कर सकता है।
- वह राज्य व केंद्र के मध्य राजस्व के बंटवारे के लिए प्रत्येक पांच वर्ष में एक वित्त आयोग का गठन करता है।
न्यायिक शक्तियाँ-
- वह उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करता है।
- वह उच्चतम न्यायालय से किसी विधि या तथ्य पर सलाह ले सकता है परंतु उच्चतम न्यायालय की यह सलाह राष्ट्रपति पर बाध्यकारी नहीं है।
- वह किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध किसी व्यक्ति के लिए दण्डदेश को निलंबित, माफ या परिवर्तित कर सकता है, या दण्ड में क्षमादान, प्राणदण्ड स्थगित, राहत और माफी प्रदान कर सकता है।
(अ) उन सभी मामलों में, जिनमें सजा सैन्य न्यायालय में दी गई हो,
(ब) उन सभी मामलों में, जिनमें केंद्रीय विधियों के विरुद्ध अपराध के लिए सजा दी गई हो, और
(स) उन सभी मामलों में, जिनमें दंड का स्वरूप प्राण दंड हो।
कूटनीतिक शक्तियाँ-
- अंतर्राष्ट्रीय संधियां व समझौते राष्ट्रपति के नाम पर किए जाते हैं हालांकि इनके लिए संसद की अनुमति अनिवार्य है। वह अंतर्राष्ट्रीय मंचों व मामलों में भारत का प्रतिनिधित्व करता है और कूटनीतिज्ञों, जैसे- राजदूतों व उच्चायुक्तों को भेजता है एवं उनका स्वागत करता है।
सैन्य शक्तियाँ-
- वह भारत के सैन्य बलों का सर्वोच्च सेनापति होता है। इस क्षमता में वह थल सेना, जल व वायु सेना के प्रमुखों की नियुक्ति करता है। वह युद्ध या इसकी समाप्ति की घोषणा करता है किंतु यह संसद की अनुमति के अनुसार होता है।
आपातकालीन शक्तियाँ-
साधारण शक्तियों के अतिरिक्त संविधान ने राष्ट्रपति को निम्नलिखित तीन परिस्थितियों में आपातकालीन शक्तियां भी प्रदान की हैं:
- राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352)
- राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356 तथा 365)
- वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360)
वीटो शक्तियाँ-
संसद द्वारा पारित कोई विधेयक तभी अधिनियम बनता है जब राष्ट्रपति उसे अपनी सहमति देता है। जब ऐसा विधेयक राष्ट्रपति की सहमति के लिए प्रस्तुत होता है तो उसके पास तीन विकल्प होते हैं (संविधान के अनुच्छेद 111 के अंतर्गत):
1. वह विधेयक पर अपनी स्वीकृति दे सकता है;
2. विधेयक पर अपनी स्वीकृति को सुरक्षित रख सकता है;
3. वह विधेयक (यदि विधेयक धन विधेयक नहीं है) को संसद के पुनर्विचार हेतु लौटा सकता है। हालांकि यदि संसद इस विधेयक को पुन: बिना किसी संशोधन के अथवा संशोधन करके, राष्ट्रपति के सामने प्रस्तुत करे तो राष्ट्रपति को अपनी स्वीकृति देनी ही होगी।
इस प्रकार, राष्ट्रपति के पास संसद द्वारा पारित विधेयकों के समबन्ध में वीटो शक्ति होती है, राष्ट्रपति को ये शक्ति देने के दो कारण है-
- संसद को जल्दबाजी और सही ढंग से विचारित न किए गए विधान को रोकने के लिए।
- किसी असंवैधानिक विधान को रोकने के लिए।
भारत के राष्ट्रपति के तीन वीटो निम्न प्रकार है-
- अत्यांतिक वीटो – विधायिका द्वारा पारित विधेयक पर अपनी राय सुरक्षित रखना।
- निलंबनकारी वीटो – जो विधायिका द्वारा साधारण बहुमत द्वारा निरस्त की जा सके।
- पॉकेट वीटो – विधायिका द्वारा पारित विधेयक पर कोई निर्णय नहीं करना।
अध्यादेश जारी करने की शक्ति-
- संविधान के अनुच्छेद 123 के अनुसार, “यदि संसद का अधिवेशन न चल रहा हो और ऐसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जायें जब अविलम्ब कार्यवाही आवश्यक हो, तो राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकता है।”
- अध्यादेश को संसदीय कानूनों की भाँति ही कानूनी बल प्राप्त होता है।
- राष्ट्रपति द्वारा जारी किये गये अध्यादेश को यदि संसद के अधिवेशन आरम्भ होने के 6 सप्ताह के भीतर स्वीकृति प्रदान नहीं कर दी जाती तो अध्यादेश अप्रभावी हो जाता है।
- अध्यादेश अधिकतम 6 महीने और 6 सप्ताह तक लागू रह सकता है क्योंकि संसद के दो सत्रों के बीच अधिकतम 6 माह का अन्तर होता है और अधिवेशन शुरू होने के 6 सप्ताह के भीतर अध्यादेश को संसद की स्वीकृति आवश्यक होती है।
क्षमादान करने की शक्ति-
संविधान के अनुच्छेद-72 के तहत, राष्ट्रपति को उन व्यक्तियों को क्षमा करने की शक्तियाँ प्राप्त हैं जो निम्नलिखित मामलों में किसी अपराध के लिये दोषी करार दिये गए हों।
- संघीय विधि के विरुद्ध किसी अपराध के संदर्भ में दिये गए दंड में,
- सैन्य न्यायालय द्वारा दिये गए दंड में और,
- यदि दंड का स्वरुप मृत्युदंड हो।
राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति न्यायपालिका से स्वतंत्र है। वह एक कार्यकारी शक्ति है परन्तु इस शक्ति का प्रयोग करने के लिए किसी न्यायालय की तरह पेश नहीं आता। राष्ट्रपति की इस शक्ति के दो रूप है–
- विधि के प्रयोग में होने वाली न्यायिक गलती को सुधरने के लिए।
- यदि राष्ट्रपति दंड का स्वरूप अधिक कड़ा समझता है तो उसका बचाव प्रदान करने के लिए।
राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति में निम्नलिखित बातें सम्मिलित हैं-
1. क्षमा (Pardon) – इसमें दंड और बंदीकरण दोनों को हटा दिया जाता है तथा दोषी की सजा दंड, दंडादेशों एवं निर्हर्ताओं से पूर्णतः मुक्त कर दिया जाता है।
2. लघुकरण (Commutation) – इसका अर्थ है कि सज़ा की प्रकृति को बदलना जैसे मृत्युदंड को कठोर कारावास में बदलना।
3. परिहार (Remission) – सज़ा की अवधि को बदलना जैसे 2 वर्ष के कठोर कारावास को 1 वर्ष के कठोर कारावास में बदलना।
4. विराम (Respite) – विशेष परिस्थितियों की वजह से सज़ा को कम करना। जैसे- शारीरिक अपंगता या महिलाओं की गर्भावस्था के कारण।
5. प्रविलंबन (Reprieve) – किसी दंड को कुछ समय के लिये टालने की प्रक्रिया। जैसे- फाँसी को कुछ समय के लिये टालना।
राष्ट्रपति का वेतन व अन्य सुविधाएँ |
- भारत के राष्ट्रपति को हर महीने 5,00,000 (पांच लाख) रुपये तनख्वाह के रूप में मिलते हैं।
- 2017 तक राष्ट्रपति को 1.5 लाख रुपये महीने तनख्वाह मिलती थी।
- 2018 में इसे बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया।
तनख्वाह के साथ ही राष्ट्रपति को कई अतिरक्त अलाउंस मिलते हैं-
- इनमें जिंदगी भर के लिए मुफ्त चिकित्सा, आवास और उपचार सुविधा आदि शामिल है।
- राष्ट्रपति के आवास, स्टाफ, भोजन और मेहमानों की मेजबानी आदि पर सरकार हर साल करीब 2.25 करोड़ रुपये खर्च करती है।
- राष्ट्रपति, राष्ट्रपति भवन में रहते हैं, जिसमें करीब 340 कमरे हैं।
सेवानिवृति के बाद राष्ट्रपति को मिलती हैं ये सुविधाएं –
- भारत के पूर्व राष्ट्रपति को 1.5 लाख मासिक पेंशन (7वें वेतन आयोग के बाद) मिलती है।
- पूर्व राष्ट्रपति की पत्नी को 30,000 रुपये प्रतिमाह की सचिवीय सहायता मिलती है।
- राष्ट्रपति के अनुमोदन अधिनियम के अनुसार, पूर्व राष्ट्रपति के पास सचिवीय कर्मचारियों और कार्यालयों के लिए 60,000 रुपये तक खर्च करने का प्रावधान है।
- कम से कम 8 कमरों का मकान मिलता है।
- 2 लैंडलाइन, एक मोबाइल फोन, ब्रॉडबैंड और इंटरनेट कनेक्शन मिलता है।
- भारत के पूर्व राष्ट्रपति को मुफ्त बिजली और पानी भी दिए जाते हैं।
- इसके अलावा कार और ड्राइवर भी दिए जाते हैं।
- एक व्यक्ति के साथ भारत में प्रथम श्रेणी के टिकट द्वारा मुफ्त चिकित्सा सहायता, ट्रेन और हवाई यात्रा भी दी जाती है।
- 5 लोगों का निजी स्टाफ और सभी सुविधाओं के साथ मुफ्त वाहन दिया जाता है।
- दिल्ली पुलिस सुरक्षा और 2 सचिव भी दिए जाते हैं।
राष्ट्रपति से सम्बंधित अनुच्छेद : –
अनुच्छेद | अनुच्छेद के अन्तर्गत विषयवस्तु |
52 | भारत के राष्ट्रपति |
53 | संघ की कार्यपालिका शक्ति |
54 | राष्ट्रपति का चुनाव |
55 | राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका |
56 | राष्ट्रपति का कार्यकाल |
57 | पुनर्चुनाव के लिए आहर्ता |
58 | राष्ट्रपति चुने जाने के लिए योग्यता |
59 | राष्ट्रपति कार्यालय की दशाएँ |
60 | राष्ट्रपति द्वारा शपथ ग्रहण |
61 | राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया |
62 | राष्ट्रपति पद की रिक्ति की पूर्ति के लिए चुनाव कराने का समय |
65 | उप-राष्ट्रपति का राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना |
71 | राष्ट्रपति के चुनाव से सम्बंधित मामले |
72 | राष्ट्रपति की क्षमादान इत्यादि की शक्ति तथा कतिपय मामलों में दंड का स्थगत, माफ़ी अथवा कम कर देना |
74 | मंत्रिपरिषद का राष्ट्रपति को परामर्श एवं सहयोग प्रदान करना। |
75 | मंत्रियों से सम्बंधित अन्य प्रावधान, जैसे – नियुक्ति, कार्यकाल, वेतन इत्यादि |
76 | भारत के महान्यायवादी |
77 | भारत सरकार द्वारा कार्यवाही का संचालन |
78 | राष्ट्रपति को सूचना प्रदान करने से सम्बंधित प्रधानमंत्री के दायित्व इत्यादि |
85 | संसद के सत्र, सत्रावसान तथा भंग करना |
111 | संसद द्वारा पारित विधेयकों पर सहमति प्रदान करना |
112 | संघीय बजट (वार्षिक वित्तीय विवरण) |
123 | राष्ट्रपति की अध्यादेश जारी करने की शक्ति |
143 | राष्ट्रपति की सर्वोच्च न्यायालय से सलाह लेने की शक्ति |
राष्ट्रपति से सम्बंधित रोचक तथ्य |
- डॉ. राजेंद्र प्रसाद सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति रहे। वह पहले राष्ट्रपति थे जिन्होंने दो कार्यकाल संभाले।
- डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे। उनके जन्मदिन 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
- जाकिर हुसैन देश के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति थे। वह पहले राष्ट्रपति थे जिनकी कार्यकाल के दौरान मौत हुई। राष्ट्रपति के रूप में सबसे छोटा कार्यकाल(1967 से 1969) राष्ट्रपति डॉ ज़ाकिर हुसैन का रहा था।
- कार्यवाहक राष्ट्रपति बनने वाले पहले उपराष्ट्रपति वराहगिरी वेंकट गिरी थे। उनको 1975 में भारत रत्न भी दिया गया। बाद में वह राष्ट्रपति बनें।
- भारत के 14 पूर्णकालिक राष्ट्रपति हुए हैं और 3 अंतरिम राष्ट्रपति। वराहगिरी वेंकट गिरी, मोहम्मद हिदायतुल्ला और बसप्पा दानप्पा जत्ती अंतरिम राष्ट्रपति थे
- देश के सबसे कम उम्र के राष्ट्रपति संजीव रेड्डी थे। वह आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे।
- ज्ञानी जेल सिंह भारत के पहले सिख राष्ट्रपति थे। उनके ही कार्यकाल में ऑप्रेशन ब्लू स्टार, सिख विरोधी दंगा और इंदिरा गांधी की हत्या हुई। पॉकेट वीटो का प्रयोग करने वाले एकमात्र राष्ट्रपति थे।
- कोचेरिल रमन नारायणन देश के पहले दलित राष्ट्रपति थे। वह देश के सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति थे।
- डॉ.ए.पी.जे.अब्दुल कलाम देश के पहले वैज्ञानिक राष्ट्रपति थे। उनकों पीपल्स प्रेजिडेंट कहा जाता है। 1997 में उनको भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
- प्रतिभा पाटिल देश की पहली महिला राष्ट्रपति थीं।
- द्रौपदी मुर्मू देश की पहली जनजातीय महिला राष्ट्रपति तथा दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं।
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