क्रमबद्धता

निर्देश- नीचे दिए गए प्रत्येक प्रश्न में अनुच्छेद के पहले और अन्तिम भागों को क्रमश: (1) और (6) की संख्या दी गई है। इनके बीच में आने वाले चार वाक्यों को (य), (र), (ल), (व) की संख्या दी गई है। ये चारों वाक्य उचित क्रम में नहीं हैं। इन्हें ध्यान से पढ़कर दिए गए विकल्पों में से उचित क्रम चुनिए-

1. (1) देश में अनुशासन की पुनः स्थापना हेतु
(य) का थोड़ा-बहुत समावेश
(र) यह आवश्यक है कि हमारी शिक्षा- व्यवस्था में
(ल) अवश्य किया जाए
(व) नैतिक और चारित्रिक शिक्षा
(6) ताकि छात्रों को कर्तव्य-अकर्तव्य का ज्ञान हो सके।
(अ) य, र, ल, व
(ब) र, व, य, ल

(स) ल, व, य, र
(द) व, ल, र, य

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2. (1) व्यवहार में

(य) सरकार के तीनों अंगों का
(र) एक-दूसरे की शक्तियों पर
(ल) जैसा कि अमरीका की
(व) कार्य-पद्धति में पाया जाता है
(6) नियन्त्रण होता है।
(अ) य, ल, व, र
(ब) ल, व, र, य

(स) ल, व, य, र
(द) र, य, ल, व
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3. (1) जब तक प्रेमचंद जी

(य) मुझे मुश्किल से घण्टे-आधे घण्टे का समय मिलता
(र) मेरे घर रहे
(ल) जब मैं उनके साथ चाय पीता था
(व) अन्यथा उनका समय अन्य व्यक्ति अधिकतर
(6) उनकी अनिच्छा से अपने अधिकार में कर लेते।
(अ) य, व, ल, र
(ब) र, य, ल, व

(स) ल, र, व, य
(द) व, य, र, ल
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4. (1) वास्तव में हम

(य) विकासशील देशों में से है
(र) सुदृढ़ बनाने के लिए इन नई औद्योगिकियों
(ल) उन गिने-चुने अग्रणी
(व) जिन्होंने अपनी अर्थ-व्यवस्था को
(6) का सार्थक उपयोग किया है।
(अ) ल, य, व, र
(ब) य, व, र, ल

(स) र, व, ल, य
(द) ल, व, र, य
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5. (1) धनिया ने नाक सिकोड़कर कहा
(य) उसका नाम सुनकर
(र) मैंने तुमसे सौ बार
(ल) मेरे मुँह पर भाईयों का बखान न किया करो
(व) हजार बार कह दिया कि
(6) मेरे देह में आग लग जाती है।
(अ) य, व, र, ल
(ब) र, व, ल, य
(स) ल, य, र, व
(द) व, य, ल, र
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6. (1) मरुभूमि राजस्थान की प्रत्येक स्थली पर
(य) जहाँ पद्मिनी और लक्ष्मीबाई ने देश के हितार्थ तलवार धारण की
(र) जहाँ की देवियों ने अपने अस्तित्व की
(ल) रक्षा के लिए अपने प्राण अग्निदेव को समर्पित कर दिए
(व) वहाँ के वीरों का रक्त प्रवाहित हुआ
(6) और शत्रुओं का मान-मर्दन किया।
(अ) य, र, ल, व
(ब) व, य, र, ल
(स) ल, व, य, र
(द) व, र, ल, य
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7. (1) पुत्र न केवल परिवार की
(य) सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा
(र) आय में वृद्धि करते हैं
(ल) परम्परा को आगे बढ़ाते हैं अपितु उसकी

(व) तथा बुढ़ापे में माता-पिता की
(6) का साधन बनते हैं।
(अ) ल, व, र, य
(ब) र, व, ल, य
(स) ल, र, व, य
(द) ल, व, य, र
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8. (1) समय को परखने वाला-
(य) और समय की
(र) रंक से धनाढ्य
(ल) करोड़पति से भिखारी
(व) उपेक्षा करने वाला
(6) हो जाता है।
(अ) र, ल, य, व
(ब) ल, य, र, व

(स) र, य, व, ल
(द) ल, र, य, व
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9. (1) विज्ञान और राजनीति
(य) के बीच पड़ी हुई दरार
(र) विज्ञान और आध्यात्म, परमाणु और अहिंसा
(ल) व्यवहार तथा नैतिक मूल्यों

(व) तेजी से बढ़ती जा रही है जिसके कारण
(6) का सन्तुलन गड़बड़ा गया है।
(अ) य, र, ल, व
(ब) र, ल, य, व

(स) य, व, ल, र
(द) ल, य, व, र
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10. (1) मिथकीय आवरणों को

(य) अर्थ देने वाले लोग
(र) सार्वभौम रचनात्मक को पहचानने वाले कला समीक्षक
(ल) हटा उसे तथ्यानुयायी
(व) मनोवैज्ञानिक कहलाते हैं, आवरणों की
(6) कहलाते हैं।
(अ) य, ल, व, र
(ब) ल, य, व, र

(स) ल, र, व, य
(द) य, र, व, ल
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11. (1) कैसे कहूँ कि
(य) उन शहरों का नहीं हूँ, जहाँ पढ़ा;
(र) और उस व्यापक देश का नहीं हूँ, जिसने विदेश यात्रा के पूर्व
(ल) उन जगहों का नहीं हूँ, जिन्होंने मुझे स्थान दिया;
(व) उस गाँव का नहीं हूँ, जहाँ जन्मा;
(6) रूमाल में गाँठ लगाई
(अ) य, र, ल, व
(ब) र, ल, य, व
(स) व, य, ल, र
(द) य, ल, व, र
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12. (1) प्रोफेसर ने मुझे समझाया कि इन्सान
को कभी भी
(य) जिसके गुण सुदर हैं। क्या मैं सुंदर हूँ ? पोलियो को।
(र) अपना आत्मविश्वास खोना चाहिए। सुंदर वही है,
(ल) हीन भावना का शिकार नहीं होना चाहिए और न ही
(व) रोगी होते हुए भी, मैं कभी हीन
भावना-ग्रस्त नहीं रहा,
(6) न ही अपना आत्मविश्वास डगमगाने दिया।
(अ) ल, र, य, व
(ब) र, ल, व, य
(स) य, व, र, ल
(द) व, य, र, ल
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13. (1) हमारा उद्देश्य होगा, जीवन के
(य) करना कि हमारा सामाजिक जीवन
(र) हर सांस्कृतिक पहलू का इस प्रकार विकास
(ल) पुनर्गठित हो और वह सौन्दर्य एवं आनन्द को पूर्ण रूप से
(व) स्वतंत्रता, समता और मानवता के
आधार पर
(6) उपलब्ध कर सके।
(अ) व, र, ल, य
(ब) र, य, ल, व
(स) र, य, व, ल
(द) व, र, य, ल
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14. (1) सूर्य भगवान की
(य) अविश्राम तप्त किरणें, लू की सन्‍नाटा
(र) शुष्क होते हुए मन्द प्रवाह धरणी-तल पर की अविरल
(ल) निदाध कुसुमावतीपूरित वृक्षों को मुरझाना, नदी का
(व) मारते हुए झपट, तेजपूरित उष्ण
(6) शून्यता, विचित्र प्रभाव उत्पन्न करती है।
(अ) य, व, र, ल
(ब) य, व, ल, र
(स) ल, र, य, व
(द) ल, र, व, य
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15. (1) जिस समाज में ब्याहता को
(य) अकारण ही अग्नि की भेंट चढ़ा दिया जाता हो
(र) वह समाज निश्चित रूप से
(ल) प्यार के स्थान पर यातना दी जाती है
(व) सभ्यों का समाज नहीं
(6) अपितु नितान्‍त असभ्यों का समाज है।
(अ) य, व, र, ल
(ब) र, ल, व, य

(स) ल, य, र, व
(द) व, र, य, ल
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