क्रमबद्धता

31. (1) संस्कृत भाषा के समृद्ध तथा
(य) अभिव्यक्ति-क्षम होने
(र) चारों दिशाओं से आहरण
(ल) अर्थात्‌ शब्द-सम्पदा को
(व) का रहस्य है यही भूमावृत्ति
(6) करने की वृत्ति।
(अ) य, र, ल, व
(ब) य, व, ल, र
(स) र, ल, व, य
(द) र, व, ल, य

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32. (1) अगर पत्थर की मूर्ति
(य) क्योंकि पहाड़ का आकार-प्रकार मूर्ति से
(र) तो पहाड़ की पूजा अवश्य करनी चाहिए
(ल) कहीं बहुत अधिक है जिससे
(व) की पूजा करने से ईश्वर की प्राप्ति हो
सकती है,
(6) अधिक रूप में ईश्वर का दर्शन भी होगा।
(अ) र, य, ल, व
(ब) ल, व, र, य

(स) व, र, य, ल
(द) इनमें से कोई नहीं
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33. (1) भारत में पुरुषों और स्त्रियों की
(य) वृद्धि हुई है वह
(र) औसत आयु में जो
(ल) उससे प्रजनन संयोग
(व) अभिनन्दनीय है किन्तु
(6) की अवधि में भी वृद्धि हुई है।
(अ) र, य, व, ल
(ब) य, व, र, ल

(स) य, र, व, ल
(द) र, य, ल, व
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34. (1) मोहनदास करमचंद गांधी और माओ

(य) के अनन्तर में
(र) नेतागिरी करने के
(ल) परिस्थितियों की माँग
(व) जैसे व्यक्तियों ने
(6) गुण विकसित किए।
(अ) व, ल, य, र
(ब) व, य, ल, र

(स) व, ल, र, य
(द) र, ल, व, य
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35. (1) धर्म और
(य) उदारता के उच्च
(र) ही एक ऐसा दिव्य आनन्द भरा रहता है कि
(ल) कर्मों के विधान में
(व) कर्त्ता को वे कर्म ही
(6) फलस्वरूप लगते हैं।
(अ) ल, व, र, य
(ब) य, व, ल, र
(स) य, ल, र, व
(द) ल, र, य, व
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36. (1) मनुष्य स्वभाव से देव-तुल्य है।
(य) जमाने के छल-प्रपंच और परिस्थितियों के वशीभूत होकर वह अपना देवत्य खो बैठता है।
(र) हमारी सभ्यता साहित्य पर ही आधारित है।
(ल) साहित्य इसी देवत्य को अपने स्थान पर प्रतिष्ठित करने की चेष्टा करता है।
(व) हम जो कुछ भी हैं, साहित्य के ही
बनाए हुए हैं।
(6) किसी भी राष्ट्र की आत्मा की प्रतिध्वनि होती है-साहित्य।
(अ) य, ल, व, र
(ब) य, ल, र, व
(स) र, व, य, ल
(द) व, र, य, ल
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37. (1) कुमुदनी
(य) उसका प्रेमी चन्द्रमा आकाश में रहता है
(र) तो जल में रहती है
(ल) के दर्शन मात्र से कुमुदनी
(व) लेकिन चन्द्रमा की किरणों
(6) खिल जाती है।
(अ) र, य, व, ल
(ब) य, व, ल, र

(स) र, व, ल, य
(द) य, व, र, ल
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38. (1) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी
(य) और नवयुग की चेतना लेकर निबन्ध के
(र) एवं विचारात्मक कोटियों में रखे जा सकते हैं, जो
(ल) प्राचीन सांस्कृतिक परम्परा का गम्भीर ज्ञान
(व) क्षेत्र में अवतरित हुए तथा इनके
निबन्ध भावात्मक
(6) इनके व्यक्तित्व की छाप लिए हुए हैं।
(अ) व, र, ल, य
(ब) य, ल, र, व
(स) र, व, य, ल
(द) ल, य, व, र
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39. (1) सामाजिक जीवन में
(य) क्रोध की जरूरत बराबर पड़ती है
(र) मनुष्य दूसरों के द्वारा पहुँचाए जाने वाले बहुत से
(ल) यदि क्रोध न हो तो
(व) कष्टों की चिर निवृत्ति का
(6) उपाय ही न कर सके।
(अ) य, ल, र, व
(ब) र, य, ल, व
(स) ल, र, व, य
(द) व, य, र, ल
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40. (1) सकारात्मक सोच
(य) सार्थकता ही
(र) सार्थकता है,
(ल) ही जीवन की
(व) सफलता है और असफलता
(6) ही सार्थकता है।
(अ) व, य, र, ल
(ब) ल, र, य, व
(स) य, र, ल, व
(द) र, ल, व, य
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41. (1) संविधान में
(य) विशिष्ट बहुमत से
(र) संशोधन उसी स्थिति में हो सकता है
(ल) दोनों सदनों में
(व) जबकि संशोधन विधेयक
(6) पास कर दिया जाए।
(अ) र, व, य, ल
(ब) व, य, ल, र
(स) र, व, ल, य
(द) य, ल, व, र
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42. (1) महात्मा गांधी के जीवन के मूल मंत्र
थे-सत्य और अहिंसा।
(य) उनकी आत्मकथा ‘मेरे सत्य के साथ प्रयोग’ इसका प्रत्यक्षण उदाहरण है।
(र) किसी प्रकार की हिंसा का आश्रय लेकर प्राप्त की गई स्वाधीनता भी उन्हें स्वीकार्य न थी।
(ल) अहिंसा से उनका तात्पर्य था-मनसा, वाचा, कर्मणा, अहिंसा।
(व) सत्य के बिना वे एक कदम भी आगे
बढ़ने को तैयार न थे।
(6) वास्तव में, गांधी को महामानव नहीं, देवताओं की कोटि में रखा जाना चाहिए।
(अ) र, ल, व, य
(ब) व, य, ल, र
(स) य, व, ल, र
(द) ल, र, य, व
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43. (1) आज हिन्दी को प्रत्येक क्षेत्र में सम्मान
प्राप्त है।
(य) न जाने कितनी समितियाँ और अकादमियाँ सक्रिय हैं।
(र) समस्त विश्व के विश्वविद्यालयों में हिन्दी विभाग खुल चुके हैं।
(ल) हिन्दी भाषा और साहित्य को समस्त विश्व में प्रतिष्ठित करने वाले प्रशासनिक माध्यम कार्यरत हैं।
(व) उच्चस्तरीय हिन्दी अध्यापन की व्यवस्था के साथ ही शोध संस्थान भी
गतिशील है।
(6) फिर भी हिन्दी को वह सर्वोच्च स्थान प्राप्त नहीं है।
(अ) ल, व, र, य
(ब) व, र, ल, य
(स) र, य, ल, व
(द) ल, य, र, व
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44. (1) हमारा देश उत्सवों और त्योहारों का
देश है।
(य) ये त्योहार जनमानस में उल्लास जगाते हैं।
(र) यहाँ अनेक त्योहार मनाए जाते हैं।
(ल) समन्वय की भावना भी पैदा करते हैं।
(व) लोगों में देशभक्ति और गौरव का
भाव भरते हैं।
(6) इन अवसरों पर सब मिलकर खुशियाँ मनाते हैं।
(अ) र, ल, व, य
(ब) र, य, व, ल
(स) ल, व, य, र
(द) व, य, र, ल
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45. (1) इस नवजात ग्रह की बाहरी परतों में
(य) और अपने साथ लायी हुई
(र) जलवाष्प और
(ल) साढ़े चार अरब साल पहले
(व) बर्फीले पिण्ड वाले धूमकेतु आए

(6) कार्बन यौगिक छोड़ गए।
(अ) ल, व, य, र
(ब) र, व, य, ल

(स) र, व, ल, य
(द) ल, र, व, य
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46. (1) हमारे समाज में
(य) मनुष्यता का कलंक है
(र) निस्पन्द सहिष्णुता के कारण
(ल) और स्त्री अपने अज्ञान, भय तथा
(व) स्वार्थ के कारण पुरुष
(6) पाषाण-सी उपेक्षणीय है।
(अ) व, र, य, ल
(ब) र, ल, य, व
(स) व, य, ल, र
(द) ल, व, र, य

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47. (1) जो कलाकार नाटक, संगीत, नृत्य
और चित्रकारी में लगे हैं, हम
(य) सामाजिक जीवन को सौंदर्यमय बनाकर उसे
(र) जनता की इच्छाओं और आकांक्षाओं को प्रतिफलित होने दे और
(ल) उन्हें प्रोत्साहित करेंगे कि वे अपनी कलाकृतियों में
(व) उन्हें एकत्र करेंगे और
(6) आनंद से परिपूरित करें।
(अ) व, य, ल, र
(ब) ल, र, व, य
(स) व, ल, र, य
(द) य, र, ल, व
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48. (1) हमें यह समझ लेना चाहिए कि
(य) एक सुन्दर स्वरूप है और यह भी मानना होगा कि
(र) धर्म की भाषा अधिक स्पष्ट, मूर्त और परिष्कृत
(ल) होती गई है और इसके लिए बहुत हद तक
(व) धर्म मानव जाति की मूलगत
अनुभूतियों का
(6) विज्ञान ही उत्तरदायी है।
(अ) य, र, ल, व
(ब) र, ल, व, य
(स) व, य, र, ल
(द) व, य, ल, र
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49. (1) यह विज्ञान का वरदान
(य) तभी प्राप्त होगा जब
(र) अर्थात्‌ कल्याण के रूप में
(ल) तो मनुष्य के लिए शिव
(व) समस्त प्रकृति अर्थात्‌ प्राणी
(6) सुखमय जीवन बिता सके।
(अ) य, व, ल, र
(ब) ल, र, य, व

(स) ल, र, व, य
(द) य, ल, र, व
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50. (1) किसी भी पद्यांश अथवा गद्यांश

(य) बिना छोड़े
(र) या विचार को
(ल) संक्षेप में लिखना
(व) के मुख्य भाव
(6) सार लेखन कहा जाता है।
(अ) र, ल, य, व
(ब) व, य, र, ल

(स) र, व, य, ल
(द) व, र, य, ल
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51. (1) मीराबाई के विषय में
(य) हृदय से लगाकर उनको
(र) भगवान कृष्ण की मूर्ति को
(ल) इन्होंने बचपन में एक बार खेल-खेल में ही
(व) यह जनश्रुति है कि
(6) अपना दूल्हा मान लिया।
(अ) व, र, ल, य
(ब) व, र, य, ल
(स) व, ल, र, य
(द) व, ल, य, र
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52. (1) इस तरह हम
(य) जो अपनी लेखनी या कूची, वाणी या वाद्यों द्वारा
(र) उन सभी कलाकारों का आह्वान कर रहे हैं
(ल) एक व्यापक संगठन न होने के कारण जिनकी साधनाएँ
(व) समाज को ‘सत्य’, ‘शिव’, ‘सुन्दर’
की ओर ले जाने में लगे हैं किन्तु
(6) इच्छित फल नहीं दे पा रही है
(अ) र, य, ल, व
(ब) र, य, व, ल
(स) य, व, र, ल
(द) य, र, व, ल
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53. (1) अपनी व्यक्तिगत सत्ता की
(य) जगत के वास्तविक दृश्यों और
(र) जीवन की वास्तविक दशाओं में जो हृदय समय-समय
(ल) निज के योग-क्षेम से सम्बन्ध से मुक्त करके,
(व) अलग भावना से हटाकर
(6) पर रमता है, वही सच्चा कवि हृदय है।
(अ) ल, र, य, व
(ब) य, र, व, ल
(स) व, ल, य, र
(द) ल, व, र, य
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54. (1) यह झण्डा
(य) कपड़े की तीन पट्टियाँ हैं, मगर
(र) विश्वास, मुहब्बत और मुल्क
(ल) जिसे आप, हम और करोड़ों लोग सिर नवाते हैं, महज
(व) इस झण्डे में आपस की एकता,
एक-दूसरे का
(6) की तरक्की की भावना छिपी है।
(अ) य, र, ल, व
(ब) र, ल, य, व
(स) ल, य, व, र
(द) ल, र, य, व
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55. (1) प्रश्न पूछने तथा काम रोको प्रस्ताव के अतिरिक्त

(य) आधे घण्टे की बहस के लिए
(र) सार्वजनिक महत्व के मामले पर
(ल) लोकसभा का कोई भी सदस्य
(व) अध्यक्ष की अनुमति से किसी भी
(6) प्रस्ताव रख सकता है।
(अ) ल, व, र, य
(ब) य, र, ल, व
(स) र, व, य, ल
(द) व, ल, य, र
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56. (1) जिस प्रकार

(य) कायम नहीं कर सकता है वैसे ही
(र) व्यक्ति का व्यक्तित्व महत्वपूर्ण
(ल) द्वीप नदी से हटकर अपना महत्व
(व) परम्परा से संस्कृति और सभ्यता हटाकर
(6) नहीं हो सकता है।
(अ) ल, य, व, र
(ब) व, य, ल, र
(स) र, व, य, ल
(द) र, य, ल, व
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57. (1) परीक्षा से पूर्व

(य) मुख्य बिन्दुओं की
(र) दत्त अध्ययन कार्य के
(ल) टिप्पणियों का सार तैयार करना
(व) पढ़ते समय
(6) बहुत ही महत्वपूर्ण है।
(अ) व, र, य, ल
(ब) र, य, ल, व
(स) व, य, र, ल
(द) र, ल, व, य
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58. (1) गीता में कहा गया है कि

(य) कोई एक ही उन्हें जान पाता है
(र) तो बहुत होते हैं किन्तु उनमें से 
(ल) क्योंकि भौतिक विषयों से विरत ही
(व) भगवान को जानने के इच्छुक
(6) भगवान के प्रति आसक्त हो सकता है।
(अ) र, व, ल, य
(ब) व, र, य, ल
(स) ल, य, व, र
(द) य, ल, र, व
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59. (1) हमें यह समझ लेना चाहिए कि

(य) एक सुन्दर स्वरूप है और यह भी मानना होगा कि
(र) धर्म की भाषा अधिक स्पष्ट, मूर्त और परिष्कृत
(ल) होती गई है और इसके लिए बहुत हद तक
(व) धर्म मानव जाती की मूलगत अनुभूतियों का
(6) विज्ञान की उत्तरदायी है।
(अ) य, र, ल, व
(ब) र, ल, व, य
(स) व, य, र, ल
(द) व, य, ल, र
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60. (1) जीवन का संघर्ष है।

(य) असहाय स्थिति में भी संघर्ष में कूदा जा सकता है।
(र) मान लिया कि आपके पास साधनों का अभाव है, लेकिन आप तो हैं।
(ल) भले ही आप कमजोर हैं, लेकिन विपदाओं से भिड़ने का, कुछ न कुछ करने का साहस तो आप में है।
(व) इस संघर्ष में अपने आपको असहाय समझना और संघर्ष में मुँह मोड़ लेना उचित नहीं है।
(6) यही बहुत है। 
(अ) र, ल, व, य
(ब) य, र, व, ल
(स) व, य, र, ल
(द) य, व, ल, र
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