कम्प्यूटर शब्दावली
(Computer Glossary)
  1. प्रोटोकॉल (Protocol) – यह एक ऐसी मानक और औपचारिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से कंप्यूटरों तथा संजालों (नेटवर्कों) में अंकीय संचार किया जाता है।
  2. वेब सर्वर (Web Server) – यह प्रोग्राम, वेब ब्राउजर के द्वारा संसाधनों को प्राप्त करने के लिए यूजर द्वारा दिए गए अनुरोध को पूरा करता है।
  3. ऑनलाइन (Online) – जब यूजर इंटरनेट पर जानकारियों तथा सेवाओं का अध्ययन करता है, तब वह यूजर ऑनलाइन होता है।
  4. 4. ऑफलाइन (Offline)– ऑफलाइन के अंतर्गत यूजर इंटरनेट में उपस्थित सूचनाओं को अपने-अपने कंप्यूटर में संगृहीत करके इंटरनेट संपर्क काट देता है।
  5. हाइपर टेक्स्ट मार्कअप भाषा (HTML) – इसका संक्षिप्त रूप HTML है, जिसका प्रयोग वेब पेज बनाने के लिए किया जाता है। प्रारंभ में वेब डिजाइनिंग HTML के द्वारा ही की जाती थी। HTML एक प्रकार की एनकोडिंग स्कीम (Encoding Scheme) की तरह कार्य करता है, जिसका प्रयोग दस्तावेज तैयार करने के लिए किया जाता है।
  6. हाइपर टैक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (Hyper Text Transfor Protocol) – इसका संक्षिप्त रूप HITP है। इसका प्रयोग HTML में संगृहीत दस्तावेजों तथा दूसरे वेब संसाधनों को स्थानान्तरित करने के लिए किया जाता है।
  7. टीसीपी / आईपी (TCP / IP) – इसका पूरा नाम Transmission ControlProtocol/Internet Protocol है। इसका प्रयोग सूचनाओं के आदान-प्रदान करने के लिए किया जाता है।
  8. यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर (Uniform Resource Locketer) – इसका संक्षिप्त रूप URL है। जिसका प्रयोग वेब पर किसी विशेष सूचना को संचालित करने के लिए किया जाता है। URL में एक विशेष प्रकार का एड्रेस कोड प्रयोग में लाया जाता है, जिसे डोमेन एड्रेस कोड कहते हैं, जैसे- http:/www.gmail.com/mail. इसमें gmail इसका डोमेन एड्रेस कोड कहलाता है।
  9. वेब पेज (Web Page) – होम पेज पर बने हाइपरलिंक को क्लिक करने पर जो पेज हमारे समक्ष प्रस्तुत होता है, उसे वेब पेज कहते हैं।
  10. वेब साइट (Website)– वेब पेजों के समूह को वेब-साइट कहा जाता है, जिसमें चित्रों, ध्वनि, टैक्स्ट इत्यादि का समावेश होता है।
  11. हाइपरलिंक (Hyperlink) – वेब पेज में उपस्थित वह विशेष शब्द या चित्र, जिस पर क्लिक करने पर उस शब्द या चित्र से सम्बन्धित सूचनाएँ एक अलग वेब पेज पर आ जाती हैं। उसे वेब पेज का हाइपरलिंक कहा जाता है।
  12. डाउनलोड (Download) – इंटरनेट या किसी अन्य कंप्यूटर से प्राप्त सूचनाओं को अपने कंप्यूटर में संगृहीत करने की क्रिया को डाउनलोड कहते हैं।
  13. अपलोड (Upload) – अपने कंप्यूटर से किसी भी अन्य कंप्यूटर में सूचनाओं को भेजना अपलोड करना कहलाता है।
  14. सर्वर ( Server) – वह कंप्यूटर जो इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों को अर्थात यूजर को सूचनाएँ प्रदान करने की क्षमता रखता है, सर्वर कहलाता है।
  15. सर्फिंग (Sirffing) – इंटरनेट के नेटवर्कों में महत्त्वपूर्ण सूचनाओं को खोजना या विभिन्न साइटों पर भ्रमण करना, सर्फिंग कहलाता है।
  16. इंटरनेट एड्रेस (Internet Address) – इंटरनेट में प्रयुक्त एड्रेस के मूलभूत हिस्से को डोमेन कहा जाता है। इंटरनेट से जुड़े प्रत्येक कंप्यूटर का एक डोमेन नेम होता है, जिसे डोमेन नेम सिस्टम कहा जाता है। उदाहरण के लिए xyz@gmail.com में xyz यूजर का नाम है, gmail सर्विस देने वाली कम्पनी का नाम है; जबकि com एक प्रकार का डोमेन है।
  17. एक्सेस कण्ट्रोल (Access Control) – यह ऐसी विधि है जो सूचना और संसाधनों की सुरक्षा के लिए प्रयोग की जाती है ।
  18. एक्सेस टाइम (Access Time) – किसी यूजर द्वारा मेमोरी से डाटा प्राप्त करने की प्रक्रिया निर्देश देने तथा डाटा प्राप्त होने के बीच के समय को एक्सेस टाइम कहते हैं।
  19. ऐक्युलेटर ( Accumulator) – यह एक रजिस्टर होता है, जिसका उपयोग अर्थमेटिक तथा लॉजिकल परिणाम स्टोर करने के लिए किया जाता है।
  20. ऐक्टिव विंडो (Active Window) – किसी यूजर द्वारा वर्तमान में सक्रिय विंडो (जो कंप्यूटर में उपस्थित हो) ऐक्टिव विंडो कहलाती है।
  21. एल्गोरिथ्म (Algorithm) – यह कंप्यूटर को दिए जाने वाले अनुदेशों का क्रम है, जिसके द्वारा कार्य पूर्ण किया जाता है। एल्फान्यूमेरिक – 5- यह Apphabets + Numbers का समुच्चय है, इसमें (A-Z) अक्षरों तथा (0-9) अंकों का समुच्चय होता है।
  22. एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) – यह ऐसा कंप्यूटर है जिसमें ser भौतिक रूप से प्रयुक्त किया जाता है। 
  23. एण्टीवायरस (Antivirus) – यह ऐसा प्रोग्राम होता है, जिसके द्वारा कंप्यूटर को दोषपूर्ण प्रोग्रामों से होने वाली क्षति से बचाया जाता है।
  24. एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) – किसी विशेष कार्य के लिए बनाए गए प्रोग्रामों का समूह एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर कहलाता है। 
  25. आर्टिफिशियल इण्टेलीजेंस (Artificial Intelligence)– मानवीय गुणों के अनुरूप सोचने समझने एवं तर्क करने की क्षमता के विकास को कंप्यूटर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस कहा जाता है।
  26. ASCII (American Standard Code for Information Interchange) – यह एक कोड है जो अक्षरों तथा संख्याओं को 8 बिट के रूप में प्रदर्शित करता है।
  27. असेम्बलर (Assembler) – यह एक ऐसा प्रोग्राम है जो असेम्बली भाषा को मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है।
  28. एट्रीब्यूट (Attribute) – यह किसी एन्टीटी का गुण होता है।
  29. ऑथेंटिकेशन (Authentication) – यह वह पद्धति है जिसके द्वारा कंप्यूटर के उपयोगकर्त्ता की वैधता की पहचान की जाती है।
  30. ऑक्जिलरी मेमोरी (Auxiliary Memory) – यह द्वितीयक मेमोरी भी कहलाती है। जो प्राथमिक मेमोरी से अधिक क्षमता वाली होती है।
  31. बैकस्पेस की (Backspace Key)– इसका प्रयोग टैक्स्ट को डिलीट करने के लिए किया जाता है। यह बैकस्पेस टैक्स्ट को लैफ्ट कर्सर से डिलीट करती है।
  32. बैकअप (Backup)– इसका उपयोग कंप्यूटर के खराब होने की स्थिति में किया जाता है। बैकअप प्रोग्राम, डाटा या सॉफ्टवेयर कुछ भी हो सकता है।
  33. बैंडविड्थ (BandWidth) – डाटा संचारण में जिस आवृत्ति का प्रयोग किया जाता है, उसकी उच्चतम और निम्नतम सीमा के अंतर को बैंडविड्थ कहा जाता है। इसे बिट्स प्रति सेकेण्ड (BPS) से मापा जाता है।
  34. बार कोड (Bar Code) – बार कोड एल्फान्यूमेरिक डाटा को प्रदर्शित करता है। यह मुख्यतः विभिन्न चौड़ाई की ऊर्ध्वाधर पट्टियाँ होती हैं। यह किसी भी उत्पाद के कोड को प्रदर्शित करता है।
  35. बैच फाइल (Batch File) – डॉस (DOS) ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रोग्राम की यह फाइल स्वयं संपादित होती है।
  36. बाइनरी कोडेड डेसिमल (Binary Coded Decimal BCD) – यह एक ऐसा कोडिंग सिस्टम है जिसके अंतर्गत नम्बर को 4 डिजिट में प्रदर्शित किया जाता है, प्रत्येक डेसिमल में डिजिट संख्या 0 से 9 तक होती हैं। बिट (Bit) 0 और 1 को बाइनरी अंक कहा जाता है, इन्हें संयुक्त रूप से बिट कहा जाता है।
  37. ब्लॉग (Blog) – यह www (वर्ल्ड वाइड वेब) पर एक जानकारी देने वाली साइट होती है।
  38. बॉम्ब (Bomb) – यह एक कंप्यूटर वायरस होता है जिसे निश्चित तिथि तथा समय पर एक्टिवेट किया जाता है।
  39. ब्लूटूथ (Bluetooth) – यह एक ऐसी तकनीक है जिसमें रेडियों तरंगों के द्वारा डाटा तथा सूचना का आदान-प्रदान किया जाता है।
  40. बूटिंग (Booting) – ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा जो सबसे पहला कार्य किया जाता है, उसे बूटिंग कहते हैं।
  41. ब्राउजर (Browser)– यह एक सॉफ्टवेयर है, जिसके द्वारा हम इंटरनेट पर अपनी पसंद की साइट को खोजकर सूचनाएँ प्राप्त कर सकते हैं।
  42. बफरिंग ( Buffering) – एक मेमोरी डिवाइस द्वारा डाटा को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाते हुए उसे अस्थाई रूप से स्टोर करने की प्रक्रिया बफरिंग कहलाती है।
  43. बग (Bug) – यह कंप्यूटर के प्रोग्रामों में पाई जाने वाली एक एरर होती है, जिसे हटाने की प्रक्रिया डिबगिंग कहलाती हैं।
  44. बस (Bus) – इसके द्वारा डाटा या इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को एक स्थान से दूसरे स्थान भेजा जाता है।
  45. बाइट (Byte)– बाइट 8 बिटों का सम्मिलित रूप है एक किलोबाइट में 1024 बाइट होते हैं। कंप्यूटर की मेमोरी को मेगाबाइट में मापते हैं।
  46. सेल (Cell) – Row और Column से निर्मित भाग को सेल कहते हैं।
  47. सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit CPU)– इसे कंप्यूटर का ‘ब्रेन’ कहते हैं। इसके द्वारा कंप्यूटर में होने वाली सभी क्रियाओं की प्रोसेसिंग की जाती हैं।
  48. चैनल (Channel)– इसका प्रयोग दो केबलों के नेटवर्क को जोड़ने में किया जाता है।
  49. चैटिंग (Chatting)– दूर स्थित अपने मित्रों या सगे-संबंधियों से इंटरनेट के द्वारा वार्तालाप करना चैटिंग कहलाता है।
  50. चिप (Chip) – यह मुख्यतः सिलिकॉन की बनी होती है, विभिन्न प्रकार के कार्यों को करने के लिए इस पर इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बने होते हैं।
  51. क्लाइंट सर्वर ( Client – Server) – यह एक नेटवर्क आर्किटेक्चर है, उपयोग क्लांइट को सर्वर से पृथक करने के लिए किया जाता है।
  52. कोडिंग (Coding) – यह अनुदेशों को लिखने की प्रक्रिया है जो प्रोग्रामिंग भाषा में प्रयुक्त की जाती है।
    कमांड ( Command) – कंप्यूटर में किसी कार्य को पूरा करने के लिए दिया गया निर्देश कमांड कहलाता है।
  53. कम्पाइल (Compile) – इसके अंतर्गत उच्च स्तरीय भाषाओं को मशीनी भाषा में परिवर्तित किया जाता है।
  54. कम्युनिकेशन प्रोटोकोल (Communication Protocol) – संचार (कम्युनिकेशन) को आसान बनाने के लिए जो नियम बनाए जाते हैं, कंप्यूटर की भाषा में उन्हें कम्युनिकेशन प्रोटोकोल कहा जाता है।
  55. कंप्यूटर नेटवर्क ( Computer Network) – दो या दो से अधिक कंप्यूटरों को आपस में जोड़ने की प्रक्रिया कंप्यूटर नेटवर्क कहलाती है।
  56. कंप्यूटर ग्राफिक्स (Computer Graphics) कंप्यूटर द्वारा की गई डिजाइनिंग कंप्यूटर ग्राफिक्स कहलाती है।
  57. कोल्ड बूटिंग (Cold Boot)– कंप्यूटर को स्टार्ट करते समय होने वाली बूटिंग को कोल्ड बूटिंग कहते हैं।
  58. कण्ट्रोल पैनल (Control Panel)– यह विंडोज मेन्यू का भाग होता है। यह यूजर्स को सिस्टम सेटिंग देखने तथा मैनीपुलेट करने की सुविधा उपलब्ध कराता है।
  59. कंप्यूटर वार्म (Computer Warm) – यह एक प्रोग्राम है, जो कंप्यूटर वायरस के समान होता है।
  60. कण्ट्रोल यूनिट (Control Unit)– यह CPU का ही एक भाग होता है, जो इसके कार्यों को संचालित करता है।
  61. कोरल ड्रॉ (Corel Draw) – यह एक डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर है जिसका प्रयोग मुख्यत: DTP (डेस्कटॉप पब्लिशिंग) में किया जाता है।
  62. क्रिप्टोग्राफी (Cryptography) – यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी डाटा को कंप्यूटर में अलग से स्टोर कर दिया जाता है तथा आवश्यकत्ता पड़ने पर उसे पुनः प्राप्त कर लिया जाता है।
  63. क्रॉलर (Crawler) – यह एक इंटरनेट बोट होता है जो वर्ल्ड वाइड वेब को ब्राउज करता है। इसे वेब स्पाइडर भी कहते हैं।
  64. कट (Cut) – यह एक कमांड है जो डाटा को डिलीट करने के लिए प्रयुक्त की जाती है।
  65. डाटा (Data) – कंप्यूटर में स्टोर निर्देशों तथा सूचनाओं को डाटा कहा जाता है।
  66. डाटाबेस (Database)– यह बहुत सी सूचनाओं का संग्रह होता है। इसके – द्वारा किसी भी वांछित सूचना को कंप्यूटर की स्क्रीन पर प्राप्त किया जा सकता है।
  67. डाटा एब्सट्रक्शन (Data Abstraction) – इसके द्वारा ऑब्जेक्ट को दर्शाया जाता है, यह अनावश्यक डिटेल को छिपाकर रखता है।
  68. डाटा एंटरी (Data Entry)-  सूचनाओं और निर्देशों का कंप्यूटर में संग्रहण करना डाटा एंटरी कहलाता है।
  69. डाटाबेस मैनेजमेन्ट सिस्टम (Database Management System- DBMS) – यह बहुत से प्रोग्रामों का समूह होता है, इसके द्वारा कई तरह के कार्य सम्पन्न किए जाते हैं, जैसे सूचनाओं को व्यवस्थित करना, सूचनाओं में परिवर्तन करना इत्यादि ।
  70. डाटा प्रोसेसिंग (Data Processing) – डाटा को व्यवस्थित करना तथा उससे आउटपुट प्राप्त करना डाटा प्रोसेसिंग कहलाता है।
  71. डाटा रिडन्डेन्सी (Data Redundancy) – किसी फाइल को एक या अधिक बार अलग-अलग नामों से कंप्यूटर सॉफ्टवेयर में सेव करना डाटा रिडन्डेन्सी कहलाता है।
  72. डाटा फ्लो डायग्राम (Data Flow Diagram-DFD) – यह डाटा को ग्रॉफिक्स ‘फ्लो’ के रूप में प्रदर्शित करता है।
  73. डिबगिंग (Debugging) – डाटा तथा प्रोग्राम में गलतियों को ढूँढना तथा उन्हें सुधारना डिबगिंग कहलाता है।
  74. डिग्री (Degree) – किसी डाटाबेस की टेबल में फील्ड की संख्या को डिग्री कहा जाता है।
  75. डेस्कटॉप पब्लिशिंग (Desktop Publishing – DTP) – यह एक एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर है, जिसका प्रयोग बुक पब्लिशिंग में किया जाता है।
  76. डिवाइस ड्राइवर (Device Driver)- इसका प्रयोग कंप्यूटर प्रोग्राम में ऑपरेटिंग सिस्टम को हार्डवेयर डिवाइस से जोड़ने में किया जाता है।
  77. डायल अप लाइन (Dial Up Line)– इसके द्वारा संचार व्यवस्था स्थापित की जाती है।
  78. डिजिटल क्लॉक (Digital Clock) – यह डिजिटल संकेतों को उत्पन्न करने वालीघड़ी है। यह मदरबोर्ड पर स्थित होती हैं।
  79. डायरेक्ट एक्सेस (Direct Access) – इसके द्वारा स्टोरेज डिवाइस से डाटा प्राप्त किया जाता है।
  80. डायरेक्ट्री (Directory)- यह फाइल सिस्टम की एक एन्टीटी है, जो फाइलों के समूह को संग्रहित रखती है
  81. डोमेन नेम (Domain Name) – यह एक विशिष्ट नाम है, जो इंटरनेट पर किसी वेबसाइट का नाम बताता है।
  82. डॉट्स प्रति इंच (Dots Per Inch-DPI) – यह प्रति इंच में उपस्थित बिंदुओं की संख्या है।
  83. ड्रैग-एंड-ड्रॉप (Drag-and-Drop) – वह क्रिया जिसमें माउस द्वारा डाटा के किसी भाग को सिलेक्ट करके एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जाता है, ड्रैग-एंड- ड्रॉप कहलाती है।
  84. DVD – यह एक भण्डारण युक्ति है। इसमें सूचनाओं को पढ़ने के लिए लेजर किरणों का प्रयोग किया जाता है। इसे प्रकाशीय डिस्क भी कहते हैं।
  85. डायनैमिक रैम (Dynamic RAM DRAM)– यह रैंडम एक्सेस मेमोरी का एक प्रकार है, जो डाटा को भिन्न-भिन्न कैपसिटर में संरक्षित करता है।
  86. ई-कॉर्मस (E-Commerce) – इंटरनेट तथा कंप्यूटर नेटवर्क जैसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से सेवाओं एवं वस्तुओं को खरीदने-बेचने की प्रक्रिया ई-कॉमर्स कहलाती है।
  87. इलेक्ट्रॉनिक डाटा प्रोसेसिंग (Electronic Data Processing-EDP) – इसके अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक माध्यम (कंप्यूटर) की सहायता से डाटा को व्यवस्थित किया जाता है।
  88. इलेक्ट्रॉनिक मेल (Electronic Mail) – इसे संक्षेप में E-Mail कहा जाता है। इसके द्वारा दूर स्थित किसी व्यक्ति, मित्र या अपने सगे-सम्बंधियों को या निर्देश भेजे जाते हैं।
  89. एण्ड यूजर (End User) एण्ड यूजर वह व्यक्ति होता है, जो कंप्यूटर आधारित सिस्टम की सूचनाओं का प्रयोग करता है।
  90. एरर मैसेज (Error Message)- यह त्रुटि बताने वाला संदेश होता है। जब यूजर कंप्यूटर पर कार्य करता है तो उस समय किसी त्रुटि को बताने वाला संदेश एरर मैसेज कहलाता है।
  91. इथरनेट (Ethernet)- इस तकनीक का प्रयोग LAN (Local Area Network) में स्थानीय कंप्यूटरों को जोड़ने के लिए किया जाता है।
  92. एक्सेल (Excel) – एक्सेल यूजर्स को स्प्रेडशीट प्रदान करता है, जो पेपर लेजर की तरह होता है तथा यह ऑटोमैटिक कैलकुलेशन करता है।
  93. एक्जीक्यूशन टाइम (Execution Time)- कंप्यूटर द्वारा किसी एक प्रोग्राम को क्रियान्वित करने में लगा समय एक्जीक्यूशन टाइम कहलाता है।
  94. ऐक्सपेंशन स्लॉट (Expansion Slot)- एक्सपेंशन स्लॉट मदरबोर्ड के ऊपर का भाग होता है, जिस पर अन्य उपकरणों को जोड़कर कंप्यूटर की क्षमता बढ़ाई जाती है।
  95. फैक्स (Fax) – फैक्स का पूर्ण रूप ‘फेसिमाइल’ है यह डॉक्यूमेन्ट की कॉपी को इलेक्ट्रॉनिकली संचारित करने में उपयोग किया जाता हैं।
  96. फाइल (File) – फाइल बहुत से रिकॉर्डों एवं सूचनाओं का एक संग्रह है। इसके द्वारा कई प्रकार की सूचनाओं को एक साथ रखा जाता है।
  97. फायरवॉल (Firewall) – इसका प्रयोग नेटवर्क की सुरक्षा की दृष्टि से किया जाता है, यह हार्डवेयर तथा सॉफ्टवेयर का समूह होता है।
  98. फ्लोचार्ट (Flowchart) – फ्लोचार्ट किसी डाटा अथवा प्रोग्राम के क्रियान्वयन की दिशा एवं चरण बताता है।
  99. फॉर्मेट (Format) – फॉर्मेट वह प्रक्रिया है जिसमें किसी डिस्क ( भण्डारण युक्ति) को प्रयोग में लाने से पूर्व सेक्टर तथा ट्रैक में बाँटा जाता है।
  100. फोरट्रॉन ( Fortran) – यह एक उच्चस्तरीय भाषा है जिसका प्रयोग वैज्ञानिक एवं गणितीय क्षेत्रों में किया जाता है। इसका पूर्ण रूप फॉर्मूला ट्रांसलेटिंग सिस्टम है।
  101. गेटवे (Gateway) – गेटवे उस कंप्यूटर को कहते हैं, जो इंटरनेट से जुड़ा हो तथा अन्य कंप्यूटर टर्मिनलों को इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध कराता है।
  102. गीगाबाइट (Gigabyte – GB) – यह कंप्यूटर स्टोरेज की एक यूनिट है जो लगभग एक बिलियन वाइट के बराबर होती है।
  103. गीगाहर्ट्ज (Giga Hertz GHz) – इसका प्रयोग CPU की गति को मापने के लिए किया जाता है। एक गीगाहर्ट्ज एक बिलियन साईकल प्रति सेकेंड के बराबर होता है।
  104. हैकर (Hacker) – अनधिकृत रूप से किसी अन्य के कंप्यूटर में प्रवेश करने वाला व्यक्ति हैकर कहलाता है।
  105. हैंग (Hang) – कंप्यूटर का अचानक रूक जाना या कार्य न करना हँग होना कहलाता है।
  106. हार्डकॉपी (Hard Copy)– यह कंप्यूटर द्वारा प्रस्तुत स्थाई आउटपुट होता है जैसे- पेपर पर प्राप्त प्रिंट आउटपुट ।
    हार्डडिस्क (Hard Disk) – यह गोल तथा पतली भण्डारण युक्ति है जिसका निर्माण एल्युमीनियम से किया जाता है तथा इस पर चुम्बकीय पदार्थ की परत चढ़ी होती है।
  107. हार्डवेयर (Hardware) – इसके अंतर्गत कंप्यूटर के छू सकने वाले भाग आते हैं जैसे- माउस, की-बोर्ड, मॉनीटर आदि ।
  108. होम पेज (Home Page)– जब हम किसी वेबसाइट को खोलते हैं तो सबसे पहले जो पेज खुलता है उसे होम पेज कहते हैं।
  109. हब (Hub) – यह लैन पर विभिन्न कंप्यूटरों को जोड़ने का कार्य करता है जिससे ये आपस में एक-दूसरे से कम्युनिकेट कर सकते हैं। हब एक नेटवर्क डिवाइस है।
  110. हाइब्रिड कंप्यूटर (Hybrid Computer) – यह एनालॉग व डिजिटल कंप्यूटरों का मिश्रित रूप है।
  111. हाइपर टेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (Hyper Text Transfer Protocol)- इसका प्रयोग इंटरनेट पर फाइलों को मूव करने के लिए किया जाता है।
  112. आइकन (Icon) – यह एक सिम्बल होता है जो कंप्यूटर में किसी विशेष फंक्शन को प्रदर्शित करता है।
  113. इनपुट (Input)– परिणाम प्राप्त करने के लिए डाटा तथा निर्देशों को कंप्यूटर में डालना इनपुट कहलाता है?
  114. इंटरफेस (Interface) – यह एक सर्किट होता है जिसके द्वारा इनपुट तथा आउटपुट उपकरणों को CPU के साथ जोड़ा जाता है।
  115. इण्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर (Internet Service Provider-ISP) – इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर एक बिजनेस ऑर्गेनाइजेशन है। इसके द्वारा इंटरनेट तथा इसकी सर्विसेज को एक्सेस करने की अनुमति दी जाती हैं।
  116. इंटिग्रेटेड सर्किट (Intergrated Circuit-IC) – यह एक चिप होती हैं जिसका निर्माण सिलिकॉन से किया जाता है। इस पर ट्रांजिस्टर प्रतिरोधक, संधारित्र जैसे उपकरण लगे होते हैं।
  117. जावा (JAVA)- यह एक प्रोग्रामिंग भाषा है जिसका उपयोग इंटरनेट में किया जाता है।
  118. जावास्क्रिप्ट (Javascript) – इसके द्वारा वेब ब्राउजर पर आकर्षक इफैक्ट डाला जाता है। यह एक ऑब्जेक्ट ओरिएन्टेड प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है।
  119. कीबोर्ड (Keyboard) – यह एक इनपुट डिवाइस है जो सभी कंप्यूटर में जुड़ी होती हैं। यह टाइपराइटर के समान होती है।
  120. किलोबाइट (Kilobytes – KB) – किलोबाइट मेमोरी की इकाई है जो 1024 बाइट के बराबर होती हैं। इसे KB के संक्षिप्त नाम से भी जाना जाता है।
  121. लैन (LAN) – इसका पूर्ण रूप लोकल एरिया नेटवर्क है। यह सीमित क्षेत्र में ही एक या अधिक कंप्यूटरों को जोड़कर नेटवर्क प्राप्त करता है।
  122. लेपटॉप (Laptop)- यह किताब के आकार का एक छोटा कंप्यूटर हैं, जिसे हाथ में उठाकर कहीं भी ले जाया जा सकता है।
  123. लाइट पेन (Light Pen)- इसकी सहायता से डिस्प्ले स्क्रीन पर ग्राफिक्स को बनाया जाता है।
  124. लिंक (Link)- इसके द्वारा दो चैनलों के मध्य कम्युनिकेशन स्थापित करने के लिए मार्ग प्रदान किया जाता है।
  125. लाइनक्स (Linux) – यह एक ऑपरेटिंग सिस्टम है जिसका उपयोग व्यक्तिगत कंप्यूटर में किया जाता है।
  126. लॉग इन (Log In)- किसी कार्य को प्रारंभ करने के लिए प्रोग्राम में जाने की क्रिया लॉग इन कहलाती है।
  127. लॉग ऑफ (Log Off) – यह किसी प्रोग्राम से बाहर निकलने की क्रिया है।
  128. मशीन लैंग्वेज (Machine Language) – यह एक निम्नस्तरीय भाषा है। इसका प्रयोग कंप्यूटर में सीधे ही किया जा सकता है, इसमें किसी परिवर्तन की आवश्यकता नहीं होती हैं।
  129. मेनफ्रेम कंप्यूटर (Main Frame Computer) – यह ऐसा कंप्यूटर है जिस पर कई यूजर्स एक साथ अनेक कार्य कर सकते हैं। इन कंप्यूटरों की प्रोसेसिंग क्षमता काफी अधिक होती है।
  130. मेगाबाइट (Megabyte – MB) – यह एक मिलियन बाइट के बराबर होता है । जो 1048576 बाइट के बराबर होता है।
  131. मेमोरी (Memory) – मेमोरी में इन्फॉर्मेशन को अस्थायी रूप से स्टोर किया जाता है।
  132. मेन्यु बार (Menu Bar) – एक एप्लीकेशन विंडो के सबसे ऊपर हॉरिजांटल स्ट्रीप मेन्यु बार कहलाती हैं।
  133. माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) – यह सबसे छोटे आकार का कंप्यूटर होता है। इनमें माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए लेपटॉप एक माइक्रो कंप्यूटर है।
  134. मिनी कंप्यूटर (Mini Computer) – यह माइक्रो कंप्यूटर से भी छोटा होता है परंतु यह पर्सनल कंप्यूटर से बड़ा होता है।
  135. मल्टीमीडिया (Multimedia) – इसके अंतर्गत सूचना प्रदर्शित करने वाले दो या दो से अधिक माध्यमों का एक साथ प्रयोग किया जाता है जैसे- ग्राफ, एनिमेशन, टेक्स्ट इत्यादि ।
  136. नेटवर्क (Network) – दो या दो से अधिक कंप्यूटरों के संयोग से बना एक संजाल नेटवर्क कहलाता है।
  137. आउटपुट (Output) – आउटपुट किसी यूजर द्वारा दिए गए डाटा तथा निर्देशों का कंप्यूटर द्वारा दिया गया परिणाम है।
  138. पैच (Patch) – यह एक छोटा प्रोग्राम है, जो सॉफ्टवेयर के भाग में एरर को ठीक करता है।
  139. पर्सनल कंप्यूटर ( Personal Computer) – यह एक व्यक्तिगत तथा सिंगल यूजर कंप्यूटर होता है। इसमें CPU तथा एक से अधिक सर्किट लगे होते हैं।
  140. पाइरेसी (Piracy) – यह सॉफ्टवेयर की अवैध कॉपी होती हैं।
  141. प्रोग्रामिंग लैंग्वेज (Programming Language) – यह वह लैंग्वेज है जिसमें कंप्यूटर के प्रोग्राम लिखे जाते हैं।
  142. रैण्डम एक्सेस मेमोरी (Random Access Memory – RAM)- यह एक अस्थायी मेमोरी है। इसमें संचित डाटा कंप्यूटर बंद होने पर स्वत: ही समाप्त हो जाता है।
  143. रीड ओनली मेमोरी (Read Only Memory – ROM) – यह एक स्थायी मेमोरी है। कंप्यूटर के बंद होने पर इसमें संचित डाटा समाप्त नहीं होता है ।
  144. सर्च इंजन (Search Engine) – यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो वेब पर इंटरनेट के माध्यम से सूचनाओं को खोजता है । गुगल, याहू, विस्टा कुछ प्रसिद्ध सर्च इंजन हैं।
  145. सर्वर ( Server) – इसके द्वारा इंटरनेट नेटवर्क पर एक कंप्यूटर द्वारा दूसरे कंप्यूटर पर सूचनाएँ शेयर की जाती हैं।
  146. सॉफ्टवेयर (Software) – यह ऐसा प्रोग्राम है, जो कंप्यूटर के संचालन के लिए आवश्यक है इसे स्पर्श नहीं किया जा सकता है।
  147. स्प्रैडशीट (Spreadsheet) – यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो नम्बर आदि को कैलकुलेट करने के लिए लेजर उपलब्ध कराता है।
  148. सुपर कंप्यूटर ( Super Computer) – यह उच्च क्षमता वाले कंप्यूटर होते हैं, इनमें कई प्रोसेसर समान्तर क्रम में लगे होते हैं। इन्हें विशेष प्रयोजन के लिए ही तैयार किया जाता है।
  149. ऐक्टिव सेल (Active Cell) – MS Excel का वह सेल जिसमें यूजर मौजूदा समय में कार्य कर रहा है, ऐक्टिव सेल कहलाता है।
  150. एनीमेशन (Animation)- इसके अंतर्गत काल्पनिक चित्रों को सजीवता प्रदान की जाती है।
  151. आर्चिव (Archieve) – यह बैकअप स्टोरेज प्रदान करने का कार्य करता है।
  152. अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit – ALU) – यह CPU के कोम्पोनेंट का मुख्य एक्जिक्यूशन भाग होता है। इसके द्वारा काफी अधिक अर्थमैटिक तथा लॉजिकल गणनाएँ की जा सकती हैं।
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