अपठित हिन्दी गद्यांश का विवेचन एवं विश्लेषण

निर्देश (प्र.सं. 1- 5) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

राष्ट्रीय भावना के अभ्युदय एवं विकास के लिए भाषा भी एक प्रमुख तत्त्व
है। मानव समुदाय अपनी संवेदनाओं, भावनाओं एवं विचारों की अभिव्यक्ति हेतु भाषा का माध्यम अपरिहार्यत: अपनाता है। इसके अतिरिक्त उसके पास कोई और विकल्प नहीं है। दिव्य ईश्वरीय आन्नदानुभूति के सम्बन्ध में भले ही कबीर ने गूंगे केरी शर्करा उक्ति को प्रयोग किया था, पर इससे उनका लक्ष्य शब्द-रूपी भाषा के महत्त्व को नकारना नहीं था। प्रत्युत उन्होंने भाषा को बहता नीर कहकर भाषा की गरिमा प्रतिपादित की थी। विद्वानों की मान्यता है कि किसी एक राष्ट्र के भू-भाग की भौगोलिक विविधताएँ तथा उसके पर्वत, सागर, सरिताओं आदि की बाधाएँ उस राष्ट्र के निवासियों के परस्पर मिलने-जुलने में अवरोधक सिद्ध हो सकती हैं। उसी प्रकार भाषागत विभिन्न्ता से भी उनके पारस्परिक सम्बन्धों में निर्बाधता नहीं रह पाती। आधुनिक विज्ञान के युग में यातायात एवं संचार के साधनों की प्रगति से भौगोलिक बाधाएँ अब पहले की तरह बाधित नहीं करतीं। इसी प्रकार यदि राष्ट्र की एक सम्पर्क भाषा का विकास हो जाए तो पारस्परिक सम्बन्धों के गतिरोध बहुत सीमा तक समाप्त हो सकते हैं।
मानव समुदाय को जीवित, जाग्रत एवं जीवन्त शरीर की संज्ञा दी जा सकती है, उसका अपना एक निश्चित व्यक्तित्व होता है। भाषा अभिव्यक्ति के माध्यम से इस व्यक्तित्व को साकार करती है। उसके अमूर्त मानसिक वैचारिक स्वरूप को मूर्त एवं बिम्बात्मक रूप प्रदान करती हैं। मनुष्यों के विविध समुदाय हैं। उनकी विविध भावनाएँ हैं, विचारधाराएँ हैं, संकल्प एवं आदर्श हैं। उन्हें भाषा ही अभिव्यक्ति करने में सक्षम होती है। साहित्य, शास्त्र, गीत-संगीत, आदि में मानव समुदाय अपने आदर्शों, संकल्पनाओं, अवधारणाओं एवं विशिष्टताओं को वाणी देता है। पर क्या भाषा के अभाव में काव्य, साहित्य, संगीत आदि का अस्तित्व सम्भव है।
वस्तुत: ज्ञानराशी एवं भावराशी का अपार संचित कोश जिसे साहित्य का अभिधान दिया जाता है, शब्द रूपी ही तो है। अत: इस सम्बन्ध में वहम की किन्चित गुंजाइश नहीं है कि भाषा ही एक ऐसा साधन है, जिससे मनुष्य एक-दूसरे के निकट आ सकते हैं। उनमें परस्पर घनिष्ठता स्थापित हो सकती है। यही कारण है कि एक भाषा बोलने और समझाने वाले लोग परस्पर एकानुभूति रखते हैं। उनके विचारों में ऐक्य रहता है। अत: राष्ट्रीय भावना के विकास के लिए भाषा तत्व परम आवश्यक है।

1. प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक है-
(A) व्यक्तित्व विकास और भाषा
(B) भाषा बहता नीर

(C) राष्ट्रीयता और भाषा तत्त्व
(D) साहित्य और भाषा तत्त्व

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2. भाव एवं विचार विनिमय का सक्षम साधन है-

(A) काव्य साहित्य
(B) प्रतीक एवं संकेत

(C) शब्दरूपा भाषा
(D) ललित कलाएँ
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3. ‘गूंगे केरी शर्करा’ से कबीर का अभिप्राय है कि ब्रह्मानन्द की अनुभूति-

(A) मौन व्रत से प्राप्त होती है
(B) अनिर्वचनीय होती है

(C) अभिव्यक्ति के लिए कसमसाती है
(D) अत्यन्त मधुर होती है
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4. मनुष्य के पास अपने भावों, विचारों, आदर्शों आदि को सुरक्षित रखने के
सशक्त माध्यम है-

(A) व्यक्तित्व एवं चरित्र
(B) साहित्यशास्त्र एवं संगीत

(C) भाषा एवं शैली
(D) साहित्य और कला
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5. भाषा तत्त्व के अभाव में अस्तित्व सम्भव नहीं है-

(A) मानवीय संवेदनाओं का
(B) मानवीय आदर्शों का

(C) मानव रचित साहित्य का
(D) मानव व्यक्तित्व का
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निर्देश (प्र.सं. 5 – 10) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

कम्प्यूटर नेटवर्क का आविष्कार सूचनाओं को साझा करने के उद्देश्य से किया गया था। पहले इसके माध्यम से हर प्रकार की सूचना को साझा करना सम्भव नहीं था, किन्तु अब सूचना प्रौद्योगिकी के इस युग में दस्तावेजों एवं ध्वनि के साथ-साथ वीडियो का आदान-प्रदान करना भी सम्भव हो गया है। इन्टरनेट वह जिन्न है जो आपके सभी हुक्मों की तामील करने को तैयार रहता है। विदेश जाने के लिए हवाई जहाज का टिकट बुक कराना हो, किसी पर्यटन स्थल पर स्थित होटल का कोई कमरा बुक कराना हो, किसी किताब का आर्डर देना हो, अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए विज्ञापन देना हो, अपने मित्रों से ऑनलाइन चैिंटग करना हो, डॉक्टरों से स्वास्थ्य सम्बन्धी सलाह लेनी हो या वकीलों से कानूनी सलाह लेनी हो इन्टरनेट हर मर्ज की दवा है। इन्टरनेट ने सरकार, व्यापार और शिक्षा को नये अवसर दिए हैं। सरकारें अपने प्रशासनिक कार्यों के संचालन, विभिन्न कर प्रणाली, प्रबन्धन और सूचनाओं के प्रसारण जैसे अनेकानेक कार्यों के लिए इन्टरनेट का उपयोग करती हैं। कुछ वर्ष पहले तक इन्टरनेट व्यापार और वाणिज्य में प्रभावी नहीं था, लेकिन आज सभी तरह के विपणन और व्यापारिक लेन-देन इसके जरिए सम्भव हैं।
इन्टरनेट पर आज पत्र-पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही हैं, रेडियो के चैनल उपलब्ध हैं और टेलीविजन के लगभग सभी चैनल भी मौजूद हैं। इन्टरनेट के माध्यम से आज शैक्षणिक पाठ्यक्रमों का संचालन किया जा सकता है। विश्व के एक छोर से दूसरे छोर पर स्थित पुस्तकालय से जुड़कर किसी विषय का विशेष ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
इन्टरनेट के कई लाभ हैं तो इसकी कई खामियाँ भी हैं। इसके माध्यम से नग्न दृश्यों तक बच्चों की पहुँच आसान हो गई है। कई लोग इन्टरनेट का प्रयोग अश्लील साइटों को देखने और सूचनाओं को चुराकर उनका दुरुपयोग करने में करते हैं। इससे साइबर अपराधों में वृद्धि हुई है। इन्टरनेट से जुड़ते समय
वायरसों द्वारा सुरक्षित फाइलों के नष्ट या संक्रमित होने का खतरा भी बना रहता है। इन वायरसों से बचने के लिए एण्टी वायरस सॉफ्टवेयर का प्रयोग आवश्यक होता है। इन सबके अतिरिक्त बहुत सारे लोग इस पर अनावश्यक और गलत आँकड़े एवं तथ्य भी प्रकाशित करते रहते हैं।
अत: इस पर उपलब्ध सभी आँकड़ो एवं तथ्यों को हमेशा प्रामाणिक नहीं माना जा सकता। इनके इस्तेमाल के वक्त हमें काफी सावधानी बरतने की जरूरत पड़ती है। इस तरह इन्टरनेट यदि ज्ञान का सागर है तो इसमें कूड़े-कचड़ों की भी कमी नहीं। यदि इसका सही इस्तेमाल करना आ जाए तो इस सागर से ज्ञान व प्रगति के मोती हासिल होंगे और यदि गलत इस्तेमाल किया जाए तो कूड़ा-कचड़ा के अलावा कुछ भी हाथ नहीं लगेगा। इन्टरनेट पर उपलब्ध ज्ञान के सागर एवं इस माध्यम का सही ढंग से समुचित उपयोग मनुष्य की तरक्की में अहम भूमिका निभायेगा। अत: आने वाली पीढ़ी को इसका सही इस्तेमाल सिखाना अति आवश्यक है वरना यह बच्चों के हाथ में धारदार तलवार साबित होगा।

6. इन्टरनेट से सम्भावित होने वाले किस कार्य की चर्चा इस गद्यांश में नहीं की
गई है?
(A) अश्लील साइटों को देखना
(B) सूचनाओं को चुराना
(C) साइबर अपराध
(D) एण्टी वायरस सॉफ्टवेयर का विकास

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7. फाइलों के नष्ट या संक्रमित होने का खतरा कब होता है?

(A) इन्टरनेट से जुड़ते समय
(B) अश्लील साइट देखते समय
(C) सूचनाओं को चुराते समय
(D) सूचनाओं का दुरुपयोग करते समय
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8. मनुष्य की तरक्की में अहम भूमिका कौन निभाएगा?

(A) इन्टरनेट
(B) इन्टरनेट पर उपलब्ध ज्ञान का सागर
(C) इन्टरनेट का समुचित उपयोग
(D) इन्टरनेट पर उपलब्ध ज्ञान का सागर एवं इस माध्यम का सही ढंग से समुचित उपयोग
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9. इन्टरनेट है –

(A) एक जिन्न
(B) माध्यम

(C) सूचना प्रौद्योगिकी
(D) सूचना
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10. इन्टरनेट के जरिए किस सम्भव कार्य की चर्चा प्रस्तुत गद्यांश में नहीं की
गई है?

(A) पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन
(B) वकीलों से कानूनी सलाह लेना

(C) खेलों का सीधा प्रसारण
(D) शैक्षणिक पाठ्यक्रम का संचालन
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निर्देश (प्र.सं. 10 – 15) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए –

भारत अभी भी एक विकासशील देश ही है और अन्य अनेक देशों की तरह यह
भी अनेक पर्यावरणीय मुद्दों में अटका हुआ है। निर्धनता चिन्ता का एक प्रमुख क्षेत्र बना हुआ है और अपर्याप्त साफ-सफाई तथा स्वच्छ पेयजल सहित अनेकसमस्याएँ परेशानी का सबब बनी हुई हैं। जनसंख्या की उच्च वृद्धि दर प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण तथा निर्वनीकरण करती जा रही है। दूसरी ओर, आर्थिक विकास और तकनीकी तरक्की भी प्राकृतिक संसाधनों का भीषण दोहन कर रही है, जिसका नतीजा यह हुआ है कि वायु, जल और नाभिकीय प्रदूषण बढ़ गया है। भारत सरकार प्रमुख पर्यावरणीय मुद्दों पर ध्यान दे रही है और इस चिन्ताजनक स्थिति से निपटने के लिए अनेक पर्यावरणीय नीतियाँ बना रही हैं, परन्तु उनको सही मायनों में चरितार्थ करने के लिए अभी काफी कुछ करना होगा।
प्रमुख पर्यावरणीय समस्याएँ हैं– जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएँ, मिट्टी और भूमि की दुर्गति, जैव-विविधता का ह्रास, वायु एवं जल प्रदूषण। ये सभी जीवन्त पर्यावरण के सन्तुलन को विचलित कर रहे हैं। यह अनुभव रहा है कि मानव का शान्तिपूर्ण अस्तित्व अब एक दिवास्वप्न भर रह गया है। आपदाओं का
सम्भावित परिदृश्य हमारे अस्तित्व और धरती माँ के लिए खतरे की लटकती तलवार बन गया है। यह इसलिए हो रहा है कि हम पंचतत्व वायु, जल, पृथ्वी, अग्नि और भूमि के बीच सहअस्तित्व और सन्तुलन की कुँजी को खो चुके हैं। यदि पंचतत्व के बीच सन्तुलन या साम्यावस्था नहीं रहेगी तो हमारा अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। पंचतत्व में कुछ परिवर्तनों/विचलन के कारण ही प्राकृतिक आपदाएँ घट रही हैं। पिछले पन्द्रह वर्षों में चक्रवात, बाढ़, सूखा, बर्फीले तूफान, गर्म और शीतलहरों की आवृत्ति और उग्रता काफी बढ़ गई है। यह केवल भारत ही नहीं वरन् पूरे विश्व में हो रहा है।
तीस वर्ष पूर्व आधी दुनिया घोर गरीबी में रहती थी। डेढ़ अमेरीकी डॉलर प्रतिदिन की आय के गरीबों की संख्या पहले से आधी रह गई है। तकनीकी आविष्कार और संस्थागत सुधारों के कारण प्रगति के बावजूद विशेषकर मध्यम आय वाले देशों में लोगों की आवश्यकताएँ काफी बढ़ गई हैं। अनेक देशों में प्रतिव्यक्ति आय पहले से दोगुनी हो गई है, फिर भी भूखे लोगों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। वर्ष 2010 में ऐसे लोगों की संख्या एक अरब से ऊपर चली गई थी। इतने लोगों के भूख और गरीबी से ग्रस्त होने के कारण आर्थिक विकास और गरीबी मिटाना विकासशील देशों की पहली प्राथमिकता बनी हुई है। भारत भी इन्हीं देशों में से एक है।

11. विकासशील देशों की पहली प्राथमिकता है-

(A) आर्थिक विकास कम करना
(B) निर्धनता उन्मूलन
(C) आय में वृद्धि
(D) भूखों को भोजन देना

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12. निम्नलिखित में से कौन-सा कथन सत्य है?

(A) प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हो रही है
(B) गरीबों की संख्या पहले से कम नहीं हुई है
(C) भूखे लोगों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है
(D) सभी देशों में प्रतिव्यक्ति आय पहले से दोगुनी हो गई है
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13. निम्नलिखित में से कौन-सी प्रमुख पर्यावरणीय समस्याएँ हैं?

(A) जलवायु परिवर्तन
(B) प्राकृतिक आपदा

(C) जैव-विविधता में कमी
(D) ये सभी
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14. ‘प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण’ का अर्थ है-

(A) प्राकृतिक संसाधनों का क्षारीय होना
(B) प्राकृतिक संसाधनों का सड़ जाना
(C) प्राकृतिक संसाधनों में कमी होना
(D) प्राकृतिक संसाधनों में कोई वृद्धि न होना
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15. किन देशों में लोगों की आवश्यकताएँ बढ़ गई हैं ?

(A) मध्यम आय वाले देशों में
(B) निर्धन देशों में

(C) निम्न आय वाले देशों में
(D) इन सभी देशों में
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निर्देश (प्र.सं. 16 – 20) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इस पर
आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

एनजीओ अर्थात् नॉन गवर्नमेण्टल ऑर्गेनाइजेशन अर्थात् गैर-सरकारी संगठन
किसी मिशन की तरह चलाए जाते हैं। सामाजिक समस्याओं को हल करना और विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गतिविधियों को बल देना एक एनजीओ का मुख्य उद्देश्य होता है। एनजीओ के कार्यक्षेत्र के अन्तर्गत कृषि, पर्यावरण, शिक्षा, संस्कृति, मानवाधिकार, स्वास्थ्य, महिला समस्या, बाल-विकास इत्यादि हो सकते हैं।
पहले एनजीओ के क्षेत्र में वे ही लोग आते थे, जो समाज सेवा करना चाहते थे, किन्तु अब एनजीओ रोजगार का एक उभरता हुआ क्षेत्र बन चुका है। इसलिए अब एक सोची समझी रणनीति के तहत इस क्षेत्र में करियर बनाने के दृष्टिकोण से लोग एनजीओ में आने लगे हैं। किसी अन्तर्राष्ट्रीय पहचान वाले एनजीओ में रोजगार न सिर्फ समाज सेवा का सुकून बल्कि अच्छे वेतन की गारण्टी भी देता है। एनजीओ के प्रति आकर्षण का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि वर्तमान समय में हमारे देश में सक्रिय सूचीबद्ध एनजीओ की संख्या एक रिपोर्ट के अनुसार 33 लाख के आस-पास हैं। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा एनजीओ हैं, लगभग 4.8 लाख। इसके बाद दूसरे नम्बर पर आन्ध्र प्रदेश है। यहाँ 4.6 लाख एनजीओ हैं। उत्तर प्रदेश में 4.3 लाख, केरल में 3.3 लाख, कर्नाटक में 1.9 लाख, गुजरात व पश्चिम बंग में 1.7-1.7 लाख, तमिलनाडु में 1.4 लाख, ओडिशा में 1.3 लाख तथा राजस्थान में 1 लाख एनजीओ सक्रिय हैं। इसी तरह अन्य राज्यों में भी बड़ी संख्या में गैर-सरकारी संगठन कार्यरत हैं। दुनिया भर में सर्वाधिक सक्रिय एनजीओ हमारे देश में हैं।
दान, सहयोग और विभिन्न फण्डिंग एजेन्सियों के जरिए एनजीओ क्षेत्र में अरबों रुपये आते हैं। अनुमान है कि हमारे देश में हर साल सारे एनजीओ मिलकर 40 हजार से लेकर 80 हजार करोड़ रुपये तक जुटा लेते हैं। एनजीओ को सबसे अधिक धन सरकार मुहैया कराती है।

16. एनजीओ के कार्यक्षेत्र के रूप में निम्नलिखित में से किसकी चर्चा नहीं की
गई है?
(A) संस्कृति
(B) पर्यावरण

(C) मानवाधिकार
(D) चिकित्सा
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17. प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक क्या होगा?

(A) एनजीओ
(B) एनजीओ में रोजगार के अवसर

(C) समाज सेवा
(D) भारत में एनजीओ
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18. एनजीओ को सर्वाधिक धन कौन प्रदान करता है?

(A) निजी संस्थान
(B) अमेरिका

(C) सरकार
(D) पर्यावरण मन्त्रालय
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19. प्रस्तुत गद्यांश में सबसे कम एनजीओ की संख्या किस राज्य में बताई गई है?
(A) कर्नाटक
(B) ओडिशा

(C) राजस्थान
(D) तमिलनाडु

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20. प्रस्तुत गद्यांश में निम्नलिखित में से किसकी चर्चा नहीं की गई है?

(A) सहयोग
(B) समाज सेवा

(C) करियर
(D) राज्य सरकार
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निर्देश (प्र.सं. 21-25) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

किसी भी देश की जनसंख्या उसके लिए संसाधन भी होती है और दायित्व भी। वस्तुत: कोई भी समाज मूलत: अपने सदस्यों से बनता है और वे सदस्य ही सामाजिक व्यवस्था के लक्ष्य के रूप में रहते हैं। उनकी जीन की गुणवत्ता को सुरक्षित रखना और उसमें वृद्धि ही एक कल्याणकारी राज्य की प्रमुख प्रतिबद्धता होती है। जब जनसंख्या देश के संसाधनों की तुलना में अधिक हो जाती है, तब अनेक कठिनाईयाँ खड़ी होने लगती हैं। समाज के लिए भोजन, आवास, स्वास्थ्य और शिक्षा की मूलभूत जरूरतों की अनदेखी कर कोई शासन सत्ता में नहीं रह सकता। इतिहास और आज विश्व में तमाम क्षेत्रों में हो रही घटनाएँ इस बात की गवाह हैं कि समाज की जरूरतों के पूरा न होने पर जब क्षोभ, कुण्ठा और असन्तोष बढ़ता है, तो जनाक्रोश तख्ता पलट देता है, युद्ध होते हैं, क्रान्ति का बिगुल बज उठता है। दूसरी ओर जब समाज की आशा आकांक्षा पूरी होती है, तो उद्योग-धन्धे, शिक्षा और स्वास्थ्य की दृष्टि से समृद्धि आती है अर्थात् जनसंख्या के दो पहलू हैं और वह एक साथ संसाधन भी है और उस संसाधन के उपभोक्ता भी हैं। इनके बीच सन्तुलन आवश्यक है।
भारत आज जनसंख्या की दृष्टि से केवल चीन से पीछे है और उसकी जन्म दर में पहली बार मात्र हल्की उल्लेखनीय गिरावट आई है। व्यापक स्तर पर देखें तो हम ‘जनसंख्या विस्फोट’ की स्थिति में आ रहे हैं, जहाँ सभी संसाधनों पर भारी दबाव निरन्तर बढ़ता जा रहा है। चाहे पेय जल का प्रश्न हो या यातायात व्यवस्था हो, विद्यालय हो, नौकरी हो, स्वास्थ्य की सुविधा हो, सबकी जरूरतें बढ़ती जा रही हैं। शहरों पर जनसंख्या का दबाव बढ़ता जा रहा है। प्रदूषण की बढ़ती मात्रा इसका ज्वलन्त उदाहरण है।
आज हर छोटे-बड़े शहर और महानगर के सामने अपने नागरिकों के लिए मूल सुविधाएँ जुटाना कठिन हो रहा है। बढ़ती जनसंख्या के कारण शुद्ध हवा और पानी मिलना भी दूर हो रहा है।
माँग और पूर्ति का नियम काम करता है जैसा कि हम सब देख रहे हैं, प्रतिस्पर्द्धा बढ़ रही है और संसाधनों पर अधिकार जमाने के लिए जायज-नाजायज हर तरह के हथकण्डे लोग अपनाने से बाज नहीं आ रहे हैं। अपराध की दर बढ़ रही है, महँगाई बढ़ रही है। इन सबका जनसंख्या वृद्धि के साथ प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों तरह का सम्बन्ध है।
भारत में जनसंख्या का वितरण विभिन्न क्षेत्रों में एक-सा नहीं है। मैदानी क्षेत्रों में, नगरों और महानगरों में जनसंख्या का घनत्व गाँव, पहाड़ और पठार की तुलना में बहुत ज्यादा है। ऐसा होना स्वाभाविक भी है। जहाँ जीवन चलाने के अवसर अधिक उपलब्ध होते हैं वहाँ जनसंख्या करोड़ पार कर रही है और जो कभी एक नगर था उसे पूरे राज्य का दर्जा दिया जा रहा है। दिल्ली का विस्तार जितना हुआ है और जनसंख्या का दबाव जिस तरह बढ़ा है वह विलक्षण है। परिणाम हमारे सामने हैं यमुना का जल कचरा हो गया है और वायु प्रदूषण स्वीकृत सीमाओं के पार जा रहा है। वस्तुत: दिल्ली की नागरिक समस्याएँ जनसंख्या वृद्धि के परिणामों को समझने में और सामने रखने में, उन्हें बखूबी उद्घाटित करने में सक्षम हैं।

21. हर प्रकार की जरूरतें क्यों बढ़ रही हैं?

(A) जनसंख्या में वृद्धि के कारण
(B) आर्थिक प्रगति के कारण

(C) विज्ञान की प्रगति के कारण
(D) शैक्षिक प्रगति के कारण

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22. प्रदूषण की बढ़ती मात्रा किसका उदाहरण है?

(A) शहरों पर बढ़ता आक्रोश
(B) शहरों पर बढ़ता जनसंख्या दबाव

(C) लोगों की अशिक्षा
(D) जनसंख्या वृद्धि
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23. क्रान्ति का कारण क्या होता है?

(A) जनसंख्या वृद्धि
(B) समाज की जरूरतें पूरी न होना

(C) जीवन-स्तर में वृद्धि
(D) बढ़ता प्रदूषण
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24. क्या विलक्षण है?

(A) दिल्ली
(B) दिल्ली का विस्तार
(C) दिल्ली का प्रदूषण
(D) दिल्ली का विस्तार और बढ़ता जनसंख्या दबाव
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25. ‘जनसंख्या-वृद्धि’ से निम्नलिखित में से किसका सम्बन्ध नहीं है?

(A) अपराध में वृद्धि
(B) महँगाई में वृद्धि

(C) प्रदूषण में वृद्धि
(D) जीवन-स्तर में वृद्धि
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निर्देश (प्र.सं. 26 – 30) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इस पर
आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) ने दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा सॉलिड रॉकेट बूस्टर बनाया है। इसरो की यह परियोजना करीब एक दशक पुरानी है। यह सॉलिड प्रोपेलर रॉकेट बूस्टर पूर्णत: स्वदेश निर्मित है और इस बूस्टर का उपयोग इसरो के महत्त्वाकांक्षी जीएसएलवी मार्क 3 रॉकेट में किया जाना है। इस बूस्टर का वजन 200 टन और लम्बाई 25 मी है। इस लिहाज से यह दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रॉकेट बूस्टर है। इस श्रेणी का सबसे बड़ा बूस्टर अमेरिका का स्पेस शटल बूस्टर (440 टन का फ्यूल मास और 37.8 मी लम्बाई) और दूसरे नम्बर पर यूरोप का एरियन (240 टन का फ्यूल मास और 31.6 मी लम्बाई) है।
भारतीय बूस्टर का फ्यूल बर्न (ईंधन के दहन) का समय 103 सेकण्ड होने का अनुमान है। एरियन का फ्यूल बर्न समय 130 सेकण्ड और स्पेस शटल का फ्यूल बर्न समय 123 सेकण्ड है। जीएसएलवी मार्क 3 भारत का सबसे बड़ा रॉकेट होगा और सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा भी। लिफ्ट ऑफ के समय रॉकेट का वजन 630 टन होगा। इस श्रेणी के पहले रॉकेट को 2022 तक छोड़ा जाएगा और यह करीब 5 टन के संचार उपग्रह को सुदूर कक्षा में स्थापित करेगा। इसरो के वर्तमान रॉकेट जीएसएलवी और पीएसएलवी इतना वजन उठाने में सक्षम नहीं हैं। जीएसएलवी जहाँ 2.5 टन के उपग्रह ले जा सकता है, वहीं पीएसएलवी 1.6 टन के उपग्रह ही ले जा पाता है।

26. सॉलिड रॉकेट बूस्टर का उपयोग कहाँ किया जाता है?

(A) जीएसएलवी में
(B) अन्तरिक्ष अनुसन्धान में

(C) उपग्रह निर्माण में
(D) चिकित्सा में
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27. सबसे कम फ्यूल बर्न किसका होता है?

(A) एरियन का
(B) भारतीय बूस्टर का

(C) स्पेस शटल का
(D) इनमें से कोई नहीं
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28. दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रॉकेट बूस्टर कौन-सा है?

(A) एरियन
(B) स्पेस शटल बूस्टर
(C) सॉलिड रॉकेट बूस्टर
(D) जीएसएलवी मार्क 3 रॉकेट
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29. प्रस्तुत गद्यांश में चर्चित बूस्टरों में सबसे कम लम्बाई किसकी है?

(A) स्पेस शटल
(B) एरियन

(C) मार्क 3
(D) सॉलिड रॉकेट बूस्टर
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30. अधिक वजन के उपग्रह कौन ले जा सकता है?

(A) जीएसएलवी
(B) पीएसएलवी

(C) सॉलिड रॉकेट बूस्टर
(D) स्पेस शटल
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निर्देश (प्र.सं. 31-35) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

यदि आप राष्ट्र के चुनिन्दा व्यक्ति हैं, जो सर्वोत्कृष्ट शिक्षा से सम्पन्न हैं, अपने
निजी आराम और स्वार्थपूर्ण प्रयोजनों के कारण, अपने स्वयं के लिए तथा अपने राष्ट्र के लिए और बड़ी स्वतन्त्रता हासिल करने के लिए, एक बेहतर निष्पक्ष शासन लाने के लिए, अपने स्वयं के मामलों का प्रबन्ध करने में और अधिक हिस्सेदारी प्राप्त करने के लिए एकजुट संघर्ष नहीं कर पा रहे हैं, तो हम जो आपके मित्र हैं, आपका झूठा गुणगान कर रहे हैं और हमारे विरोधी सच कह रहे हैं और तब आपकी बेहतरी के लिए लॉर्ड रिपन की सारी उच्चाकांक्षाएँ निष्फल एवं काल्पनिक हैं, तब वर्तमान स्थिति में किसी सीमा तक प्रगति की सभी आशाएँ निराधार हैं, तथा आज की स्थिति में वास्तव में भारत को न तो किसी बेहतर सरकार की जरूरत है और न ही यह उसके काबिल है। केवल तभी जब कि आप ऐसा नहीं चाहते, आप अपने अलग-अलग आक्रोश को हमें न सुनाएँ, इनमें आप उलझे रहेंगे तथा आपके साथ बच्चों जैसा बर्ताव किया जाएगा, क्योंकि आपने अपनी स्थिति यही बताई है। अंग्रेजों को कार्य करने का ढंग मालूम है। अब इस तरह की कोई शिकायत न लाएँ कि अंग्रेजों को सभी महत्त्वपूर्ण स्थानों पर तरजीह दी जा रही है, क्योंकि यदि आपके भीतर वह लोक-भावना नहीं है, सर्वोत्कृष्ट कोटि का वह सर्वकल्याणकारी समर्पण नहीं है, जिसके चलते आप जनता के हितों के लिए अपने निजी हितों की आहुति दे दें, वह देश-प्रेम नहीं है जिसने अंग्रेजों को उस स्थिति पर ला दिया है, जहाँ वे आज हैं तब उन्हें आपसे ज्यादा तरजीह दिया जाना ठीक ही है और यह भी ठीक और अपरिहार्य ही है कि आज वे आपके शासक हैं। और निश्चय ही, वे आपके शासक और कर्ता-धर्ता तब तक बने रहेंगे, जब तक कि आप इन वास्तविकताओं को समझने एवं इनके अनुसार कार्य करने के लिए तैयार नहीं हैं कि आत्मबलिदान एवं नि:स्वार्थ सेवा-भावना ही स्वतन्त्रता तथा खुशहाली प्राप्त करने के लिए अनूठे मार्ग हैं।

31. स्वतन्त्रता प्राप्त करने के अनूठे मार्ग के रूप में निम्नलिखित में से किसकी
चर्चा नहीं की गई है?
(A) आत्मबलिदान
(B) नि:स्वार्थ सेवा-भावना

(C) देश-प्रेम
(D) इनमें से कोई नहीं

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32. प्रस्तुत गद्यांश में किस संघर्ष की चर्चा की गई है?

(A) स्वतन्त्रता के लिए संघर्ष
(B) उन्नति के लिए संघर्ष

(C) निजी स्वार्थ के लिए संघर्ष
(D) आर्थिक प्रगति के लिए संघर्ष
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33. अपरिहार्य शब्द का तात्पर्य क्या है?

(A) अत्याज्य
(B) निराधार
(C) विवशता
(D) त्याग
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34. प्रस्तुत गद्यांश में किसको शासक एवं कर्ता-धर्ता बताया गया है?

(A) आम जनता को
(B) अंग्रेजों को
(C) नि:स्वार्थ सेवा-भावना को
(D) सरकारी मुलाजिमों को
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35. किसको सम्बोधित कर प्रस्तुत गद्यांश को लिखा गया है?

(A) निर्धन लोग
(B) अंग्रेज

(C) महत्त्वाकांक्षी लोग
(D) भारतीय जनता
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निर्देश (प्र. सं. 36-40) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इस पर
आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

गाँधी जी मानते थे कि सामाजिक या सामूहिक जीवन की ओर बढ़ने से पहले
कौटुम्बिक जीवन का अनुभव प्राप्त करना आवश्यक है। इसलिए वे आश्रम जीवन बिताते थे। वहाँ सभी एक भोजनालय में भोजन करते थे। इससे समय और धन तो बचता ही था, सामूहिक जीवन का अभ्यास भी होता था। लेकिन यह सब होना चाहिए, समय-पालन, सुव्यवस्था और शुचिता के साथ।
इस ओर लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए गाँधी जी स्वयं भी सामूहिक रसोईघर में भोजन करते थे। भोजन के समय दो बार घण्टी बजती थी। जो दूसरी घण्टी बजने तक भोजनालय में नहीं पहुँच पाता था, उसे दूसरी पंक्ति के लिए बरामदे में इन्तजार करना पड़ता था। दूसरी घण्टी बजते ही रसोईघर का द्वार बन्द कर दिया जाता था, जिससे बाद में आने वाले व्यक्ति अन्दर न घुसने पाएँ।
एक दिन गाँधी जी पिछड़ गए। संयोग से उस दिन आश्रमवासी श्री हरिभाऊ उपाध्याय भी पिछड़ गए। जब वे पहुँचे तो देखा कि बापू बरामदे में खड़े हैं। बैठने के लिए न बैंच है, न कुर्सी। हरिभाऊ ने विनोद करते हुए कहा,‘‘बापूजी आज तो आप भी गुनाहगारों के कठघरे में आ गए हैं।’’
गाँधी जी खिल-खिलाकर हँस पड़े। बोले, ‘‘कानून के सामने तो सब बराबर होते हैं न?’’
हरिभाऊ जी ने कहा, ‘‘बैठने के लिए कुर्सी लाऊँ, बापू?’’
गाँधी जी बोले, ‘‘नहीं, उसकी जरूरत नहीं है। सजा पूरी भुगतनी चाहिए। उसी में सच्चा आन्नद है।’’
(स्त्रोत—गाँधी जी के रोचक संस्मरण-डॉ. कृष्णवीर सिंह)

36. गाँधी जी ने किस बात की पूरी सजा भुगतने की बात की?

(A) देर से रसोईघर में पहुँचने की
(B) सामूहिक जीवन की

(C) आश्रम जीवन बिताने की
(D) गलत नियम बनाने की
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37. सामूहिक जीवन बिताने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण है-

(A) समूह के लिए बनाए गए नियमों का पालन
(B) सब समान स्तर के हो
(C) समान विचारधारा होना
(D) समूह के सदस्यों की आपसी प्रतिस्पर्द्धा
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38. ‘‘कानून के सामने तो सब बराबर होते हैं न?’’ गाँधी जी का यह कथन इस
ओर संकेत करता है कि

(A) गाँधी जी झेंप गए थे
(B) कानून किसी तरह का भेदभाव नहीं करता
(C) गाँधी जी पूरी ईमानदारी से नियमों का पालन करने में विश्वास रखते थे
(D) कानून के हाथ लम्बे होते हैं
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39. दूसरी घण्टी के बाद रसोईघर का दरवाजा क्यों बन्द कर दिया जाता होगा?

(A) ताकि लोग समय से भोजन करें और नियम का पालन भी
(B) ताकि लोग अन्दर ना आ सकें
(C) ताकि लोग एकाध दिन उपवास कर सकें
(D) ऐसा गाँधी जी का निर्देश था
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40. सभी भोजनालय में एक साथ भोजन करते थे। इससे

(A) सुव्यवस्था रहती थी
(B) गाँधी जी और हरिभाऊ जी को बहुत असुविधा हुई
(C) सामूहिक जीवन के महत्त्व का पता चलता था
(D) केवल धन की बचत होती थी
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निर्देश (प्र.सं. 41 – 45) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

वैश्वीकरण से मानवता को केवल आर्थिक लाभ ही नहीं हुआ, बल्कि विश्व में
सामाजिक सौहार्द एवं भाईचारे को बढ़ाने में भी इसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण रही है और इसका सबसे अच्छा उदाहरण यह है कि कुछ त्योहार जो पहले कभी एक देश या धर्म के लोगों द्वारा मनाए जाते थे, वे अब विश्वभर के लोगों द्वारा मनाए जाने के कारण पूरी मानवता के त्योहार का रूप ले चुके हैं। क्रिसमस भी एक ऐसा त्योहार है, जिसे ईसाइयों का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण त्योहार होते हुए भी वैश्वीकरण के कारण अब पूरे विश्व में अन्य धर्म के लोगों द्वारा भी बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। क्रिसमस शब्द क्राइस्टे माइसे अथवा क्राइस्टमास शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है जीसस क्राइस्ट का जन्मोत्सव। क्रिसमस का त्योहार प्रत्येक वर्ष 25 दिसम्बर को जीसस क्राइस्ट अर्थात् ईसा मसीह के जन्म दिन के स्मरण स्वरूप मनाया जाता है। इस दिन को बड़ा दिन के नाम से भी जाना जाता है।
ईसाई धर्म के अनुसार ऐसा माना जाता है कि पहला क्रिसमस रोम में 336 ई. में मनाया गया था। ईसाइयों के धर्मग्रन्थ न्यू टेस्टामेण्ट में वर्णित क्रिसमस से सम्बन्धित एक कथा इस प्रकार है। ईश्वर ने मरियम नामक एक वुँâवारी लड़की के पास एक देवदूत भेजा जिसका नाम गैब्रियल था। उस देवदूत ने मरियम को बताया कि वह ईश्वर के पुत्र को जन्म देगी तथा बालक का नाम जीसस रखा जाएगा। वह बड़ा होकर राजा बनेगा तथा उसके राज्य की कोई सीमा नहीं होगी। देवदूत गैब्रियल जोसेफ के पास भी गया और उसे बताया कि मरियम एक बच्चे को जन्म देगी और उसे सलाह दी कि वह मरियम की देखभाल करे व उसका परित्याग न
करे। तब राजकीय आदेशानुसार सभी नागरिकों को अपने मूल जन्मस्थान पर जनगणना में शामिल होने के लिए कहा गया तब एक रात मरियम और जोसेफ नाजरथ से बेथलहम जाने के लिए निकले। तभी रास्ते में तूफानी हवाओं और खराब मौसम के कारण उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली, जहाँ मरियम ने 25 दिसम्बर की आधी रात को जीसस को जन्म दिया। जीसस के जन्म दिन के स्मरण स्वरूप ही प्रत्येक वर्ष 25 दिसम्बर को क्रिसमस का त्योहार मनाया जाता है।

41. इस गद्यांश के द्वारा क्या बताया गया है?

(A) विश्व के त्योहारों के बारे में
(B) क्रिसमस के त्योहार के बारे में
(C) जीसस क्राइस्ट के जन्म दिन के बारे में
(D) वैश्वीकरण के बारे में

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42. विश्व में अन्य धर्म के लोगों द्वारा भी क्रिसमस बड़ी धूम-धाम से क्यों
मनाया जाता है?

(A) मानवता के कारण
(B) भाईचारा बढ़ाने के लिए
(C) वैश्वीकरण के कारण
(D) आर्थिक लाभ के कारण
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43. वैश्वीकरण से मानवता को हुए निम्नलिखित में से किस लाभ की चर्चा इस
गद्यांश में नहीं की गई है?

(A) आर्थिक लाभ
(B) सामाजिक सौहार्द में वृद्धि

(C) भाईचारे में वृद्धि
(D) त्योहार से प्राप्त आनन्द
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44. प्रस्तुत गद्यांश में किस ग्रन्थ की चर्चा की गई है?

(A) बाईबिल
(B) न्यू टेस्टामेण्ट

(C) ओल्ड टेस्टामेण्ट
(D) ऐतिहासिक ग्रन्थ
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45. किसके बारे में कहा गया था कि वह बड़ा होकर राजा बनेगा?

(A) जीसस
(B) मरियम

(C) गैब्रियल
(D) जोसेफ
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निर्देश (प्र.सं. 46-50) निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर इस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

वर्तमान समय में कम्प्यूटर की शिक्षा के बिना मनुष्य को लगभग अशिक्षित ही
माना जाता है, क्योंकि अब दैनिक जीवन में कम्प्यूटर का प्रयोग बढ़ा है। वर्तमान सन्दर्भ में यह आवश्यक है कि शिक्षा द्वारा उत्पादिता बढ़ाने, भारत का आधुनिकीरण करने एवं देश के आर्थिक विकास पर जोर दिया जाए। इसके लिए विज्ञान की शिक्षा, कार्यानुभव एवं व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दिया जाना आवश्यक है।
शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति करना होता है। इसलिए शिक्षा का उपयोग सामाजिक विकास के साधन के रूप में किया जाता है। यह राष्ट्रीय एकता एवं विकास को बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाता है। इसके द्वारा सामाजिक कुशलता का विकास होता है। यह समाज को कुशल कार्यकर्ताओं की  पूर्ति करता है। यह समाज की सभ्यता एवं संस्कृति का संरक्षण, पोषण एवं उसका प्रसार करता है। यह समाज के लिए योग्य नागरिकों का निर्माण करता है। इस तरह सामाजिक सुधार एवं उसकी उन्नति में शिक्षा सहायक होती है। आधुनिक युग में मानव के संसाधन के रूप में विकास में शिक्षा की भूमिका प्रमुख है। उचित शिक्षा के अभाव में मनुष्य कार्यकुशल नहीं बन सकता। कार्यकुशलता के बिना व्यावसायिक एवं आर्थिक सफलता प्राप्त नहीं की जा सकती। इस तरह शिक्षा द्वारा मनुष्य का आर्थिक एवं व्यावसायिक विकास होता है।
व्यावसायिक शिक्षा देश की कई प्रकार की आर्थिक समस्याओं; जैसे— बेरोजगारी, निर्धनता, आर्थिक असमानता इत्यादि के समाधान में सहायक सिद्ध होगी। इससे छात्रों की रोजगार पाने की क्षमता बढ़ेगी, कुशल जनशक्ति की माँग और आपूर्ति के बीच असन्तुलन कम होगा और बिना विशेष रुचि अथवा प्रयोजन के उच्चतर अध्ययन जारी रखने वाले छात्रों के लिए एक विकल्प उपलब्ध हो जाएगा। इस तरह व्यावसायिक शिक्षा के कारण देश का तेजी के साथ आर्थिक विकास होगा।
व्यावसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की व्यवस्था की जानी चाहिए। इसके लिए इन पाठ्यक्रमों एवं उद्योग-धन्धों के बीच ताल-मेल स्थापित किया जाना चाहिए। ग्रामीण लड़कियाँ जो बहुत कम आयु में स्कूल छोड़ने को विवश होती हैं, उनके लिए गृह विज्ञान या सिलाई, कला और शिल्प इत्यादि जैसे घरेलू उद्योगों से सम्बन्धित पूर्णकालिक या अंशकालिक पाठ्यक्रमों की व्यवस्था की जानी चाहिए। गाँवों में फलों की खेती, फूलों की खेती, मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन जैसी कृषि सम्बन्धी पाठ्यक्रमों की व्यवस्था की जानी चाहिए। स्वास्थ्य, वाणिज्य, प्रशासन, छोटे पैमाने के उद्योगों और सभी सेवाओं में तरह-तरह के दूसरे पाठ्यक्रम विकसित किए जाने चाहिए, जो छ: महीने से लेकर तीन  तक के हो सकते हैं।

46. शिक्षा द्वारा सम्भव है-

(A) सामाजिक विकास
(B) राष्ट्रीय विकास

(C) संस्कृति का संरक्षण
(D) ये सभी
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47. व्यावसायिक शिक्षा से किसका समाधान सम्भव है?

(A) राजनीतिक समस्या
(B) वैज्ञानिक समस्या

(C) आर्थिक समस्या
(D) ये सभी
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48. किसके बिना आर्थिक सफलता नहीं प्राप्त की जा सकती?

(A) पुस्तक
(B) दूरदर्शन

(C) संचार साधन
(D) शिक्षा
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49. व्यावसायिक शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए क्या किया जाना चाहिए?

(A) शिक्षा को व्यावसायिक पाठ्यक्रम में स्थान दिया जाए
(B) शिक्षकों को व्यावसायिक पाठ्यक्रम के बारे में जानकारी दी जाए
(C) पारम्परिक शिक्षा की अवहेलना की जाए
(D) पाठ्यक्रमों एवं उद्योग-धन्धों के बीच ताल-मेल बैठाया जाए
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50. प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक निम्नलिखित में से क्या होगा?
(A) कम्प्यूटर शिक्षा
(B) व्यावसायिक शिक्षा

(C) विज्ञान की शिक्षा
(D) शिक्षा का महत्व

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